Israel-Iran Attacks: इजराइल ने गाजा पट्टी में तबाही मचाने के बाद अब ईरान पर हमला किया है. इजराइली सेना ने 13 जून 2025 शुक्रवार को ईरान की राजधानी तेहरान पर हवाई हमला किया. इस दौरान इजराइली सेना ने ईरान की कई न्यूक्लियर साइट्स और मिलिट्री साइट्स पर बम गिराए. इसके देखते हुए दुनिया भर में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम (परमाणु कार्यक्रम) को लेकर काफी चर्चा हो रही है. कई देश इसे लेकर चिंतित हैं क्योंकि ईरान का परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ऊर्जा उत्पादन तक ही सीमित नहीं दिख रहा, बल्कि इसमें परमाणु हथियार बनाने की संभावनाएं भी देखी जा रही हैं. आइए समझते हैं कि आखिर क्यों ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम दुनिया के लिए खतरे की घंटी बन चुका है.आइए जानते हैं इसके बारे में...
हफ्तेभर में बना सकता है हथियार
सबसे पहली वजह है ईरान द्वारा तेजी से यूरेनियम का संवर्धन (Enrichment). रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने अब 60% तक यूरेनियम को शुद्ध कर लिया है. जबकि परमाणु हथियार बनाने के लिए 90% शुद्धता की जरूरत होती है. इस स्तर तक पहुंचना बेहद खतरनाक संकेत है क्योंकि अगर ईरान चाहे तो कुछ ही हफ्तों में हथियार बनाने की क्षमता हासिल कर सकता है. यानी वह तकनीकी रूप से परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है.
IAEA को नहीं दे रहा जांच की छूट
दूसरी बड़ी चिंता यह है कि ईरान इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) को पूरी तरह जांच करने की छूट नहीं दे रहा है. कई बार अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों ने शिकायत की है कि ईरान ने अपनी कई न्यूक्लियर साइट्स को छुपा कर रखा है. जब कोई देश अपनी गतिविधियों को पारदर्शी नहीं रखता तो दुनिया भर में उसकी मंशा पर शक होना लाजिमी है. इससे यह आशंका बढ़ जाती है कि शायद ईरान का असली मकसद बिजली उत्पादन नहीं बल्कि हथियार बनाना है.
पूरे क्षेत्र में बन सकती है युद्ध की स्थिति
ईरान के इस बढ़ते कार्यक्रम से मध्य-पूर्व में तनाव भी बढ़ गया है. इजरायल और अमेरिका जैसे देश इसे अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानते हैं. इजरायल ने तो पहले भी ईरान के कुछ न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले किए हैं ताकि इस कार्यक्रम को रोका जा सके. अगर यह तनातनी और बढ़ी तो पूरे क्षेत्र में युद्ध की स्थिति बन सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर होगा. इसके अलावा एक और खतरा यह है कि अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है तो उसके आस-पास के देशों पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे भी परमाणु हथियार बनाएं. इससे पूरे क्षेत्र में ‘हथियारों की दौड़’ शुरू हो सकती है, जो वैश्विक शांति के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी.
न्यूक्लियर तकनीक आतंकवादी संगठनों के हाथ लगने का भय
सबसे गंभीर आशंका यह है कि अगर भविष्य में ईरान में राजनीतिक अस्थिरता आ जाती है या कट्टरपंथी गुटों का प्रभाव बढ़ जाता है तो न्यूक्लियर तकनीक और हथियार आतंकवादी संगठनों के हाथ लग सकते हैं. यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाएगी क्योंकि परमाणु हथियार अगर आतंकियों के पास चले गए तो उनके इस्तेमाल को रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा. ईरान के पास पहले से ही लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें (जैसे कि सेजिल) मौजूद हैं, जो लगभग 2,500 किलोमीटर तक वार कर सकती हैं. अगर इन मिसाइलों के साथ परमाणु हथियार जोड़ दिए जाएं तो यह खतरा सिर्फ मध्य-पूर्व तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यूरोप, एशिया और अमेरिका तक भी फैल सकता है.
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ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम दुनिया के लिए सुरक्षा चुनौती
कुल मिलाकर, ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम इस समय दुनिया के सामने सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौतियों में से एक बन चुका है. यही वजह है कि अमेरिका, यूरोप और संयुक्त राष्ट्र लगातार ईरान पर दबाव बना रहे हैं कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण रखे और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे. साथ ही IAEA जैसी एजेंसियों को पूरी तरह से निगरानी करने की इजाजत दे.
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