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ट्रंप की अफगानिस्तान को चेतावनी Photograph: (XrealDonaldTrump)
Donald Trump Threat Afghanistan: अमेरिका एक बार फिर से अफगानिस्तान के बरगाम एयरबेस पर अपने कब्जा चाहता है. इसे लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने अफगानिस्तान को धमकी दी है. ट्रंप ने कहा है कि अगर अफगानिस्तान बरगाम एयरबेस को अमेरिका को नहीं लौटाता तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे. ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर भी एक पोस्ट में इसपर कब्जे की बात कही और अफगानिस्तान को धमकी दी. ट्रंप ने कहा कि अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को उसके निर्माता संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं लौटाता तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि, "हम अभी अफ़ग़ानिस्तान से बात कर रहे हैं, और हम उसे वापस चाहते हैं, और हम उसे जल्द ही वापस चाहते हैं. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि मैं क्या करने वाला हूं." बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि काबुल के पास बने बड़े अफगान एयरबेस पर अमेरिका फिर से अपना कब्जा चाहता है जिससे वह चीन पर नजर रख सके.
#WATCH | On Bagram Airbase in Afghanistan, US President Donald J Trump says, "We're talking now to Afghanistan, and we want it back, and we want it back soon. If they don't do it, you're going to find out what I'm going to do."
— ANI (@ANI) September 21, 2025
(Source: US Network Pool via Reuters) pic.twitter.com/nje7BJwSXQ
अफगानिस्तान की ओर से आई प्रतिक्रिया
वहीं ट्रंप के बगराम एयरबेस पर अमेरिकी की वापसी की मांग के बाद अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. तालिबान ने साफ कहा है कि तालिबान सरकार अफगानिस्तान में अमेरिका को किसी भी तरह की सैन्य वापसी को मंजूरी नहीं देगी. तालिबान ने कहा है कि बगराम एयरबेस को किसी भी सूरत में अमेरिका को नहीं दिया जाएगा.
तालिबानी विदेश मंत्रालय ने किया पोस्ट
वहीं तालिबानी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक निदेशक जाकिर जलाली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होने लिखा, "राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम समझौते के बारे में बात की है. वे राजनीति से परे एक सफल व्यवसायी और वार्ताकार हैं, और उन्होंने एक समझौते के ज़रिए बगराम को वापस लेने का भी ज़िक्र किया है. अफ़ग़ानिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की ज़रूरत है और वे आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आर्थिक और राजनीतिक संबंध बना सकते हैं, भले ही अफ़ग़ानिस्तान के किसी भी हिस्से में संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य उपस्थिति हो या न हो." उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा, "अफ़ग़ानों ने ऐतिहासिक रूप से सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं किया है, और दोहा वार्ता और समझौते के दौरान इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, लेकिन आगे की बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं."
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