US: राष्ट्रपति ट्रंप ने वर्क परमिट को लेकर किया ये बड़ा बदलाव, हजारों भारतीयों पर पड़ेगा असर

US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से प्रवासी कामगारों को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है. जिसके तहत अब माइग्रेंट वर्कर्स के अमेरिका में काम करने और ठहरने की समयसीमा में कटौती की है.

US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से प्रवासी कामगारों को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है. जिसके तहत अब माइग्रेंट वर्कर्स के अमेरिका में काम करने और ठहरने की समयसीमा में कटौती की है.

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Suhel Khan
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US President Donald Trump on Migrant Worker

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप Photograph: (X@WhiteHouse)

US: अगर आप भी अमेरिका में नौकरी करने का सपना देख रहे हैं तो आपकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. क्योंकि अमेरिका ने एक बार फिर से माइग्रेंट वर्कर्स (प्रवासी कामगारों) के लिए नया नियम लागू किया है. जिससे प्रवासी कामगारों के अमेरिका में काम करने के साथ-साथ ठहरने की प्रक्रिया पर भारी असर पड़ने वाला है. दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने प्रवासी कामगारों के लिए वर्क परमिट की समय सीमा को पांच साल से घटाकर डेढ़ साल यानी 18 महीने कर दिया है.

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60 से घटाकर 18 महीने की वर्क परमिट की समयसीमा

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का असर उन प्रवासियों पर ज्यादा होगा, जो अपना आवेदन लंबित रहने तक कानूनी रूप से अमेरिका में काम कर सकते थे. प्रवासी कामगारों को ये छूट बाइडेन प्रशासन की नीति के तहत वर्क परमिट या रोजगार प्राधिकरण दस्तावेज (EAD) के तहत मिलती थी. लेकिन ट्रंप के नए फैसले से उन्हें राहत नहीं मिलेगी. अब हर बार वर्क परमिट बढ़ाने से पहले प्रवासी कामगारों को नई सुरक्षा जांच और वेटिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCI) ने रोजगार वर्क परमिट की अधिकतम समयसीमा को 60 महीने यानी पांच साल से घटाकर 18 महीने यानी डेढ़ साल कर दिया है.

ट्रंप के नए नियम का हजारों भारतीय पर पड़ेगा असर

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का असर हजारों भारतीयों और उनके परिवारों पर पड़ेगा. वहीं सालों से ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा झेल रहे भारतीय आवेदकों के लिए राष्ट्रपति ट्रंप का ये बदलाव नई चिंता लेकर आया है. बता दें कि बहुत से भारतीय अमेरिका में लंबे समय तक नौकरी करने के लिए लंबे समय वाले ईएडी और एडवांस पैरोल दस्तावेजों पर निर्भर हैं. बता दें कि अमेरिका में रोजगार-आधारित वीजा के सबसे बड़ा लाभार्थी भारतीय समुदाय ही है.

बाइडेन प्रशासन ने बढ़ाई थी परमिट की समयसीमा

यूएससीआईएस ने कहा है कि यह बदलाव सुरक्षा जांच को मजबूत करने और संभावित जोखिमों का समय रहते पता लगाने के लिए जरूरी है. यूएससीआइएस के निदेशक, जोसेफ एडलो ने कहा है कि पिछली सरकार ने देश में ऐसे विदेशी को प्रवेश दिया, जिसने वाशिंगटन में नेशनल गार्ड जवानों पर हमला किया. उन्होंने कहा कि इससे ये साफ हो गया है कि यूएससीआइएस को विदेशियों की बार-बार जांच करनी चाहिए. बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने साल 2023 में वर्क परमिट की वैधता को दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया था. बाइडेन प्रशासन ने ये फैसला यूएससीआइएस और जनता दोनों पर बोझ कम करने के लिए लिया था.

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ट्रंप की नई नीति से किन पर पड़ेगा असर?

ट्रंप प्रशासन की नई नीति से ग्रीन कार्ड आवेदकों, एच1बी कर्मियों, शरणार्थियों और लंबित शरणार्थी मामलों वाले आवेदकों पर असर पड़ेगा. उन्हें अब पांच साल की बजाय सिर्फ 18 महीने का वर्क परमिट मिलेगा. नया नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा. जो नए और लंबित पड़े दोनों आवेदनों पर लागू होगा.

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