पुतिन के भारत दौरे के बीच आया अमेरिका का बयान, भारत से संबंधों को लेकर कह दी ये बात

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच अमेरिका से बड़ी खबर सामने आई है. जी हां पुतिन और मोदी की दोस्ती ने और भारत-रूस समझौतों ने यूएस में भी खलबली मचा दी है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच अमेरिका से बड़ी खबर सामने आई है. जी हां पुतिन और मोदी की दोस्ती ने और भारत-रूस समझौतों ने यूएस में भी खलबली मचा दी है.

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Dheeraj Sharma
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Photo (ANI)

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच अमेरिका से बड़ी खबर सामने आई है. जी हां पुतिन और मोदी की दोस्ती ने और भारत-रूस समझौतों ने यूएस में भी खलबली मचा दी है. यही वजह है कि इस दौरे के बीच में ही अमेरिका की ओर से अहम रणनीति जारी की गई है. दरअसल अमेरिका ने अपनी नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी जारी की है, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है. इस रणनीतिक दस्तावेज में अमेरिका ने भारत को एक अहम साझेदार मानते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. अमेरिका का मानना है कि बदलते वैश्विक समीकरणों में भारत जैसी शक्ति के साथ सहयोग उसकी एशिया-प्रशांत रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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भारत, जापान के साथ चीन का सामना करने की तैयारी

दस्तावेज में स्पष्ट कहा गया है कि अमेरिका अब साउथ चाइना सी में चीन के खिलाफ अकेले मोर्चा नहीं संभालेगा, बल्कि भारत, जापान और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेगा. अमेरिका का मानना है कि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास ज़रूरी हैं.

यूरोपीय देशों पर सख्त टिप्पणी

ट्रंप प्रशासन की इस 33 पन्नों की रणनीति में यूरोपीय राष्ट्रों पर तीखे आरोप लगाए गए हैं. दस्तावेजों के मुताबिक...

1. यूरोपीय देश खुद ही लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं

2. वे यूक्रेन में शांति बहाल करने के अमेरिकी प्रयासों को बाधित कर रहे हैं

अमेरिका का कहना है कि यूरोपीय नेतृत्व अपनी राजनीतिक असहमति और नीतिगत गलतियों से यूक्रेन युद्ध के समाधान में बाधक बन गया है. अमेरिका ने यह भी साफ किया कि यूरोप के साथ शत्रुता खत्म कर ही आर्थिक और रणनीतिक स्थिरता वापस लाई जा सकती है.

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'बर्डन-शिफ्टिंग',  अमेरिका की नई नीति

दस्तावेज में अमेरिका ने नई नीति ‘बर्डन-शिफ्टिंग’ को अपनाने की घोषणा की है। इसका मतलब है कि  यूरोप को अपनी सुरक्षा खुद मजबूत करनी होगी.  वहीं अमेरिका अपनी सैन्य उपस्थिति उन क्षेत्रों में कम करेगा, जिनका महत्व बीते वर्षों में घटा है.  इसके साथ ही गठबंधन देश अब समान ज़िम्मेदारी के साथ वैश्विक सुरक्षा में योगदान दें. 

यह नीति दर्शाती है कि अमेरिका अब अपने सहयोगियों से अधिक सक्रिय भूमिका उम्मीद करेगा.  अमेरिकी रणनीति के मुताबिक चीन अभी भी उसकी मुख्य आर्थिक चुनौती है. यूएस का मकसद है कि चीन के साथ आर्थिक संबंधों को संतुलित करना. 

वहीं अमेरिकी उद्योग और बाजार को स्वतंत्र व सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती है.  व्यापार में पारस्परिकता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देकर यूएस अपनी पावर बरकरार रखना चाहता है.  दूसरी तरफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में युद्ध को रोकने के लिए निरंतर सामरिक पहलों पर जोर देने की बात भी अमेरिका की ओर से कही गई है.

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