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H-1B Visa Photograph: (X)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एच-1बी वीजा की फीस को 2,000-5,000 डॉलर से बढ़ाकर सीधे 1,00,000 डॉलर कर दिया. इस फैसले ने अमेरिका की टेक कंपनियों और विदेशी कर्मचारियों के बीच हलचल मचा दी है. हालांकि, अब ट्रंप प्रशासन इसमें और बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. आइए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं.
मौजूदा वीजा धारकों को नहीं होगी दिक्कत
फीस बढ़ाने की घोषणा के बाद कई वीजा धारक असमंजस में आ गए थे. लेकिन व्हाइट हाउस ने साफ किया कि जो लोग पहले से वीजा पर अमेरिका में हैं, उन पर नए नियम लागू नहीं होंगे. वे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अमेरिका आ-जा सकेंगे.
फरवरी 2026 से पहले होंगे बड़े बदलाव
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि फरवरी 2026 में शुल्क लागू होने से पहले वीजा प्रक्रिया में ‘महत्वपूर्ण बदलाव’ होंगे. उनका मानना है कि मौजूदा व्यवस्था गलत है क्योंकि इसके तहत कम वेतन पाने वाले आईटी प्रोफेशनल भी अमेरिका आकर नौकरी और परिवार साथ ला सकते हैं. लुटनिक ने संकेत दिया कि लॉटरी सिस्टम में भी सुधार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बड़ी टेक कंपनियों के प्रमुख भी मानते हैं कि कुशल कर्मचारियों के लिए लॉटरी जैसी प्रक्रिया उचित नहीं है.
अमेरिकी कंपनियों पर बढ़ा दबाव
ट्रंप के फैसले से अमेरिका की आईटी और टेक कंपनियों पर भारी दबाव आ गया है. ये कंपनियां बड़ी संख्या में विदेशी कर्मचारियों पर निर्भर हैं. बढ़ी हुई फीस से उन्हें कुशल वर्करों को अमेरिका लाने में कठिनाई होगी. इसी कारण अमेरिकी सीनेटरों ने वीजा प्रतिबंधों पर फिर से बहस शुरू कर दी है.
भारत को मिल सकता है फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ट्रंप प्रशासन वीजा पर कड़ा रुख अपनाता है, तो अमेरिकी कंपनियां अपने कई अहम काम भारत स्थानांतरित कर देंगी. इनमें एआई, साइबर सुरक्षा, एनालिटिक्स और रिसर्च जैसे काम शामिल होंगे. इससे भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) को बढ़ावा मिलेगा और यहां रोजगार के नए अवसर बनेंगे.
ट्रंप की वीजा नीति विदेशी कर्मचारियों के लिए चुनौती और अमेरिकी कंपनियों के लिए चिंता का कारण बन गई है. लेकिन फरवरी 2026 तक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे इस मुद्दे का हल निकल सकता है.
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