सत्ता की जंग या भ्रष्टाचार पर वार? चीन की सेना में शी जिनपिंग का असली खेल

China News: चीन की सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में चीनी सेना के नौ शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया. माना जा रहा है कि जिनपिंग ने ये कदम चीनी सोशल मीडिया में सत्ता विरोधी बुलंद होती आवाज के बाद उठाया गया है.

China News: चीन की सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में चीनी सेना के नौ शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया. माना जा रहा है कि जिनपिंग ने ये कदम चीनी सोशल मीडिया में सत्ता विरोधी बुलंद होती आवाज के बाद उठाया गया है.

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Madhurendra Kumar
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Xi Jinping and China Army

सत्ता की जंग या भ्रष्टाचार पर वार? चीन की सेना में शी जिनपिंग का असली खेल Photograph: (Social Media)

China News: चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने हाल ही में अपनी सेना के नौ शीर्ष अधिकारियों को पद से हटा दिया है. इनमें हे वेइदोंग, मियाओ हुआ, हे होंगजुन, वांग शिउबिन, लिन शियांगयांग, किन शुटोंग, युआन हुआझी, वांग होउबिन और वांग चुननिंग जैसे बड़े नाम शामिल हैं. यह कार्रवाई फोर्थ प्लेनम से ठीक पहले हुई है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि यह कदम सिर्फ भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम नहीं बल्कि शी जिनपिंग के सत्ता सुदृढ़ीकरण की एक अहम रणनीति का हिस्सा है.

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सैन्य कमिशन में ऐतिहासिक गिरावट

मल्टीपल रिपोर्ट्स के अनुसार, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) में सदस्यों की संख्या घटकर सिर्फ चार रह गई है जो माओ त्से तुंग के दौर के बाद सबसे कम है. इनमें से कई अधिकारी रॉकेट फोर्स से जुड़े थे, जो चीन की परमाणु हथियार इकाई है. विश्लेषकों के मुताबिक, शी जिनपिंग ने अपनी पूर्ण नियंत्रण की नीति के तहत उन अधिकारियों को निशाना बनाया जिन्हें संभावित खतरा माना जा रहा था.

भ्रष्टाचार विरोध के नाम पर भय और अविश्वास

चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हटाए गए अधिकारियों ने पार्टी अनुशासन का गंभीर उल्लंघन किया और अरबों युआन के घोटालों में शामिल पाए गए हैं. आरोप सैन्य अभियोजकों को सौंपे जा चुके हैं. हालांकि, जानकारों का कहना है कि यह कार्रवाई सेना में अनुशासन से अधिक भय और अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है. सोशल मीडिया पर बढ़ता असंतोष सख्त सेंसरशिप के बावजूद, चीनी नेटिज़न्स सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं. कई पोस्टों में सरकार के सैन्य प्रदर्शन और परेडों पर खर्च की आलोचना की जा रही है, जबकि आम नागरिक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पेट खाली है, तब रॉकेट किसके लिए?

पड़ोसी देशों में असर और अस्थिरता

नेपाल में हाल के दिनों में उभरे जेन Z के विरोध प्रदर्शनों ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. बीजिंग ने काठमांडू से स्थिरता बहाल करने की अपील की है. विश्लेषक मानते हैं कि चीन को डर है कि इस तरह के असंतोष की लहर उसके भीतर भी प्रवेश कर सकती है. और इसका असर जिनपिंग की सत्ता को भी हिला सकती है क्योंकि एक तरफ सीपीसी में असंतोष है और दूसरी तरफ युवाओं में भी.

शी जिनपिंग की सत्ता का विरोधाभास

एक ओर चीन विश्व मंच पर अपनी मजबूत सेना का प्रदर्शन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भीतर से उसकी सैन्य नेतृत्व संरचना कमजोर हो रही है. सिर्फ चार वरिष्ठ कमांडर बचे हैं और भ्रष्टाचार के आरोपों से भरी वर्दी में अनुशासन की बात करना सत्तावादी ढोंग जैसा प्रतीत होता है.

ताकत की आड़ में डर का राज

शी जिनपिंग का यह सैन्य शुद्धिकरण चीन की वास्तविक कमजोरी को उजागर करता है. सत्ता की पकड़ बनाए रखने के लिए यह दमनकारी अभियान चला तो दिया गया है, लेकिन इससे न सेना की एकता बढ़ेगी, न जनता का भरोसा. फोर्थ प्लेनम के भव्य वादों के पीछे, चीन आज एक ऐसी वैधता संकट से जूझ रहा है जिसे सिर्फ भय और नियंत्रण से नहीं संभाला जा सकता.

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