पाकिस्तान में अब तक कितनी बार हो चुका है तख्तापलट, सरकार पर क्यों हाबी हो जाती है सेना

पाकिस्तान में इनदिनों फिर से तख्तापलट का खतरा मंडरा रहा है. सेना प्रमुख आसिम मुनीर सीडीएफ ना बनने की वजह से बेहद नाराज है. इस बीच इमरान खान की रिहाई की मांग के चलते पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन की चर्चा होने लगी है.

पाकिस्तान में इनदिनों फिर से तख्तापलट का खतरा मंडरा रहा है. सेना प्रमुख आसिम मुनीर सीडीएफ ना बनने की वजह से बेहद नाराज है. इस बीच इमरान खान की रिहाई की मांग के चलते पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन की चर्चा होने लगी है.

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Suhel Khan
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पाकिस्तान में अब तक कितनी बार हो चुका है तख्तापलट Photograph: (Social Media)

पाकिस्तान एक बार फिर से राजनीतिक स्थिरता से जूझ रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक रावलपिंडी की आदियाला जेल के बाहर डेरा डाले हुए हैं और लगातार उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं. पीटीआई समर्थकों के प्रदर्शन को देखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है. बावजूद इसके इमरान समर्थकों के हौसले बुलंद हैं. दरअसल, इमरान खान रावलपिंडी की आदियाला जेल में बंद हैं.

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पूर्व पीएम के परिवार का आरोप है कि पिछले करीब डेढ़ महीने से उन्हें इमरान खान से मिलने नहीं दिया जा रहा है और ना ही फोन पर बात करने दी जा रही है. इस बीच पिछले सप्ताह इमरान खान की हत्या की खबरों ने पाकिस्तान में बवाल पैदा कर दिया. इसके बाद माना जाने लगा कि अब पाकिस्तान में एक बार फिर से तख्तापलट होने की शुरुआत हो गई है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि पाकिस्तान में अब तक कितनी बार तख्तापलट हो चुका है. और पाकिस्तान की सेना हमेशा सरकार पर हावी क्यों रहती है. 

अब तक 33 साल सेना ने किया पाकिस्तान में राज

पाकिस्तान में कई बार सेना ने तख्तापलट किया है. भारत से अलग होने के 78 साल में पाकिस्तान में 33 साल सेना ने राज किया है. सबसे पहले पाकिस्तान में 1958 में तख्ता पलट हुआ था. पाकिस्तान के पहले राष्‍ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को भंग कर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था. उन्होंने आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की कमान सौंप दी थी. उसके 13 दिन बाद अयूब खान ने तख्तापलट कर देश के राष्ट्रपति पद पर कब्जा कर लिया है. इस पद पर वे 1969 तक तक रहे.

साल 1969 में अयूब खान ने इस्तीफा दे दिया और जनरल याह्या खान पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गए. उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तक पाकिस्तान पर राज किया. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान दो भागों में बंट गया. बांग्लादेश बनने के बाद याह्या खान को इस्तीफा देना पड़ा था.
पाकिस्तान में दूसरा तख्तापलट सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने किया था. उन्होंने 4 जून 1977 को देश के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को पद से हटा दिया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. साल 1979 में भुट्टो को फांसी दे दी गई. साल 1988 में एक विमान हादसे में जिया उल हक की मौत हो गई.

26 साल पहले नवाज शरीफ सरकार का हुआ था तख्तापलट

पाकिस्तानी सेना हमेशा पड़ोसी देश की सरकार पर हावी रही है. अब से 26 साल पहले यानी 12 अक्टूबर 1999 को पाकिस्तानी सैन्य अफसर ने नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट किया था. ये तख्तापलट तत्कालीन पाक सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने किया था, जिन्हें नवाज शरीफ ने ही सेना की कमान सौंपी थी. दरअसल, नवाज शरीब की पार्टी फरवरी 1997 में हुए आम चुनाव में भारी बहुमत से जीती थी. उसके बाद नवाज शरीफ दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने.

नवाज सरकार भारत को मात देने के लिए परमाणु परीक्षण कर रही थी. जिसमें उन्हें सफलता भी मिल गई. लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही नवाज शरीफ और सेना तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जहांगीर करामात के बीच तनाव पैदा हो गया. उसके बाद नवाज ने जहांगीर को हटाकर परवेज मुशर्रफ के हाथ में पाक आर्मी की कमान सौंप दी.

कारगिल युद्ध में मिली हार के बाद हुआ तख्ता पलट

जनरल परवेज मुशर्रफ के सेना प्रमुख बनते ही उन्होंने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और नवाज शरीफ को बिना बताए ही कारगिल पर हमला कर दिया. लेकिन मुशर्रफ की सेना को भारतीय सेना ने धूल चटा दी. भारत के हाथों मिली इस हार से पाकिस्तानी लोग गुस्से में आ गए. इस हार की जिम्मेदारी ना तो सेना लेने को तैयार थी और ना ही सरकार. गुस्साए लोग नवाज के पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर आए और उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

9 अक्टूबर 1999 को रची मुशर्रफ को हटाने की पटकथा

इसे देखते हुए नवाज शरीफ ने 9 अक्टूबर 1999 को परवेज मुशर्रफ को हटाने का मन बना लिया. जिसकी भनक किसी को नहीं लगी. लेकिन उनका ये राज पांच लोग जानते थे. उनमें शरीफ, उनका बेटा हुसैन नवाज, उनके सचिव सईद मेहंदी, ब्रिगेडियर जावेद इकबाल और नजीर नाजी शामिल थे. इस बात की जानकारी उनके भाई शहबाज शरीफ को भी नहीं थी. इस भीच नवाज शरीफ यूएई के दौरे पर चले गए. जहां उन्होंने शेख जायद बिन सुल्तान से मुलाकात की.

दोनों के बीच अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत हुई. वह अपने साथ आईएसआई के डीजी जियाउद्दीन बट को भी लेकर गए थे. उन्होंने विमान में ही उन्हें इशारों में बता दिया कि वे उन्‍हें नया आर्मी चीफ बनाने की सोच रहे हैं. लेकिन नवाज शरीफ का कोई प्लान काम नहीं आया. आखिरकार 12 अक्टूबर 1999 को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया और परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान की कमान अपने हाथ में ले ली. वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए और अगस्त 2008 तक उस पद पर रहे.

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पाकिस्तान में सेना क्यों हो जाती है सरकार पर हाबी?

पाकिस्तानी सेना देश की सबसे शक्तिशाली संस्था है. सेना प्रमुख ही पाक आर्मी का सर्वेसर्वा होता है. पाक सेना की अपनी आर्थिक शक्ति है, जो उसके बड़े बजट और विदेशी सहायता के कारण और मजबूत हुई है. कहा जाता है कि पाक सेना सुई से लेकर हर चीज का निर्माण करती है. यही वजह है कि पाकिस्तान में संसद और न्यायपालिका जैसी नागरिक संस्थाएं सेना के प्रभाव के सामने अक्सर कमजोर  साबित हु ईहैं. इसके साथ ही सेना के पास अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ सीधे संबंध हैं, जो उसे सरकार को दरकिनार कर अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करते हैं.

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