Kim Jong Un Secret Train: ट्रेन से चीन पहुंचे नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, हैरान कर देगी इसकी खासियत

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन अपनी खास और सीक्रेट ट्रेन से चीन पहुंचे हैं. यह ट्रेन किसी चलते-फिरते किले से कम नहीं है. बुलेटप्रूफ और मिसाइल प्रूफ इस ट्रेन में ऑफिस, रेस्टोरेंट, बेडरूम और कॉन्फ्रेंस रूम जैसी लग्जरी सुविधाएं मौजूद हैं.

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन अपनी खास और सीक्रेट ट्रेन से चीन पहुंचे हैं. यह ट्रेन किसी चलते-फिरते किले से कम नहीं है. बुलेटप्रूफ और मिसाइल प्रूफ इस ट्रेन में ऑफिस, रेस्टोरेंट, बेडरूम और कॉन्फ्रेंस रूम जैसी लग्जरी सुविधाएं मौजूद हैं.

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Deepak Kumar
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Kim Jong Un visit China

Kim Jong Un Secret Train Photograph: (Social Media)

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक बार फिर अपनी खास ट्रेन से चीन पहुंचे हैं. बुधवार यानी 3 सितंबर को वे बीजिंग में होने वाली सैन्य परेड में शामिल होंगे. इस दौरान उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी. आपको बता दें कि किम जोंग उन जब भी किसी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो हवाई जहाज की बजाय अपनी लग्जरी और सुरक्षित ट्रेन से ही सफर करना पसंद करते हैं. तो आइए जानते हैं इस ट्रेन की खासियत क्या है.

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क्यों है यह ट्रेन खास

यह ट्रेन साधारण नहीं बल्कि किसी चलते-फिरते किले से कम नहीं है. इसे बुलेटप्रूफ और मिसाइल प्रूफ बताया जाता है. यानी इस पर गोली, बम या मिसाइल का असर नहीं होता. यही वजह है कि उत्तर कोरिया का सर्वोच्च नेता इसे सबसे सुरक्षित यात्रा का जरिया मानता है. इस ट्रेन की गति सामान्य तौर पर 45-60 किमी प्रतिघंटा होती है, जबकि चीन में यह 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है.

ट्रेन की सुविधाएं

इस ट्रेन में 10 से 15 डिब्बे होते हैं. कुछ डिब्बे सिर्फ किम जोंग उन के लिए आरक्षित रहते हैं. इसमें एक बड़ा ऑफिस, कॉन्फ्रेंस रूम, आराम के कमरे और शानदार फर्नीचर लगे हैं. खाने-पीने के लिए रेस्टोरेंट और किचन की भी सुविधा है. यात्रा के दौरान भी किम यहां बैठकर मीटिंग कर सकते हैं. इसमें हाईटेक कम्युनिकेशन सिस्टम और सैटेलाइट फोन भी लगाए गए हैं.

सुरक्षा के लिहाज से इसमें किम जोंग उन के खास कमांडो, डॉक्टरों की टीम और कर्मचारियों की पूरी व्यवस्था रहती है. इतना ही नहीं, ट्रेन के भीतर दो बख्तरबंद मर्सिडीज कारें भी मौजूद रहती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत इस्तेमाल किया जा सके.

विदेशों में कैसे होती है एंट्री

आपको बता दें, जब यह ट्रेन किसी और देश में प्रवेश करती है तो उसके हिसाब से कुछ बदलाव किए जाते हैं. जैसे रूस में रेल गेज चौड़े हैं, इसलिए वहां पहिए बदलने पड़े थे। चीन में पहिए बदलने की जरूरत नहीं होती, लेकिन ट्रेन के इंजन को चीन में बने इंजन से बदल दिया जाता है.

परिवार की परंपरा

किम जोंग उन का ट्रेन से सफर करना कोई नई बात नहीं है. यह परंपरा उनके परिवार में पीढ़ियों से चली आ रही है. उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग ने सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया था. बाद में किम जोंग इल ने भी हमेशा ट्रेन से ही विदेश यात्राएं कीं. साल 2001 में उन्होंने इसी ट्रेन से रूस की 20 हजार किमी लंबी यात्रा की थी. 2011 में उनकी इसी ट्रेन में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. बाद में उस डिब्बे को स्मारक में बदल दिया गया.

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