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डोनाल्ड ट्रंप की 'शरणार्थियों पर प्रतिबंध' नीति की चौतरफा हो रही है आलोचना

ट्रंप की आलोचना करने वालों में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी शामिल हैं।

Updated on: 28 Jan 2017, 10:53 PM

वाशिंगटन:

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के देश में शरणार्थियों और कुछ चुनिंदा मुसलमान बहुल देशों से आव्रजकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने वाले कार्यकारी आदेश की चौतरफा आलोचना हो रही है। ट्रंप की इस नीति की आलोचना करने वालों में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी शामिल हैं।

इस आदेश के पारित हो जाने से ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन से 90 दिनों के लिए आव्रजकों और गैर शरणार्थियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लग जाएगा। सभी शरणार्थियों के प्रवेश पर 120 दिनों के लिए लगा प्रतिबंध खत्म हो जाएगा और मौजूदा शरणार्थियों की संख्या को 117,000 से घटाकर 2017 में अधिकतम 50,000 किया जाएगा।

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समाचार पत्र गार्जियन के मुताबिक, अमेरिकी-इस्लामिक संबंध (सीएआईआर) परिषद ने शुक्रवार को कहा कि इस आदेश को चुनौती देते हुए मुकदमा दाखिल किया जाएगा, क्योंकि इस आदेश का उद्देश्य मुसलमान बहुल्य देशों से इस्लामिक लोगों के प्रवेश को अमेरिका में प्रतिबंधित करना है। 

सीएआईएआर की लीना एफ.मसारी ने कहा, 'इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि हमारे देश में प्रवेश करने वालों में शरणार्थियों को गहन जांच के बाद ही प्रवेश मिलता है और ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। यह आदेश वास्तिवकता पर नहीं, बल्कि भ्रम पर आधारित है।'

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विश्व की सबसे युवा नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला का कहना है कि वह आहत हैं कि अमेरिका ने शरणार्थियों और आव्रजकों का स्वागत करने वाले अपने गौरवान्वित इतिहास से मुंह मोड़ लिया है। इन्हीं लोगों ने अमेरिका के निर्माण में मदद की और ये नई जिंदगी के लिए निष्पक्ष अवसर मिलने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं।

मलाला ने आगे लिखा, 'मैं आहत हूं उन सीरियाई शरणार्थी बच्चों के लिए, जिन्होंने युद्ध के छह वर्षो के दौरान दुख व तकलीफें झेलीं, जबकि इस पूरे प्रकरण में उनका कोई दोष नहीं।'

फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि ट्रंप द्वारा हाल ही में मंजूर किए गए कार्यकारी आदेशों के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।

जुकरबर्ग ने कहा कि उनके पूर्वज जर्मनी से अमेरिका, आस्ट्रिया और पोलैंड से अमेरिका आकर बस गए थे और उनकी पत्नी के पिता चीन और वियतनाम के शरणार्थी हैं।

उन्होंने कहा, 'अमेरिका आव्रजकों का देश है और हमें इस पर गर्व है।'

खीजर खान ने कहा, 'ट्रंप द्वारा मुसलमानों और आव्रजकों को निशाना बनाने के लिए संवैधानिक सिद्धांतों और मौलिक अमेरिकी मूल्यों का उल्लंघन करना बेहद चिंता का विषय है।'

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खीजर के बेटे हुमांयू खान की इराकी आत्मघाती हमले से अपनी यूनिट को बचाने के प्रयास के दौरान मौत हो गई थी। इससे पहले, सीएआईआर के निहाद अवाद ने कहा था कि ट्रंप के कामकाज में मुसलमान एकमात्र रूप से निशाने पर होंगे।

अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड मिलीबैंड ने कहा कि शरणार्थी आतंकवादी नहीं है बल्कि वे आतंकवाद से डर कर भाग रहे हैं।