logo-image

क्या फिर होगा 'काली मौत' का हमला? चीन में अब पनप रही यह जानलेवा बीमारी

चीन से निकले कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ाई लड़ रही है. अभी तक कोरोना वायरस की दवा विश्व में कोई भी वैज्ञानिक बना नहीं पाया है. इस बीच चीन से एक और जानलेवा बीमारी के खतरे की आहट सुनाई देने लगी है.

Updated on: 06 Jul 2020, 12:38 PM

बीजिंग:

चीन से निकले कोरोना वायरस (Corona Virus) से पूरी दुनिया लड़ाई लड़ रही है. अभी तक कोरोना वायरस की दवा विश्व में कोई भी वैज्ञानिक बना नहीं पाया है. इस बीच चीन से एक और जानलेवा बीमारी के खतरे की आहट सुनाई देने लगी है. दुनिया में पहले भी हमला कर चुकी 'काली मौत' या ब्लैक डेथ, जिसे वैज्ञानिक भाषा में 'ब्यूबानिक प्लेग' बीमारी कहते हैं, वह चीन (China) में पनप रही है, जिसके लक्षण वहां के एक व्यक्ति में दिखाई दिए हैं. उत्तरी चीन के एक शहर में रविवार को ब्यूबानिक प्लेग का एक संदिग्ध मामला सामने आने के बाद अलर्ट जारी किया गया है.

यह भी पढ़ें: कोविड-19: भारत में 7 लाख के करीब पहुंचे मामले, पिछले 24 घंटे में मिले 24,248 नए मरीज

सरकारी पीपुल्स डेली ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, आंतरिक मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र बयन्नुर ने 'ब्यूबानिक प्लेग' बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तीसरे स्तर की चेतावनी जारी की. ब्यूबानिक प्लेग का एक संदिध मामला बयन्नुर के अस्पताल में शनिवार को सामने आया. जिसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकार ने घोषणा की कि चेतावनी 2020 के अंत तक जारी रहेगी.

स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकार ने कहा, 'इस समय शहर में मानव प्लेग महामारी फैलने का खतरा है. जनता को आत्मरक्षा के लिए जागरुकता और क्षमता बढ़ानी चाहिए और असामान्य स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में तत्काल जानकारी देनी चाहिए.' उधर, सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने एक जुलाई को कहा था कि पश्चिम मंगोलिया के खोड प्रांत में ब्यूबानिक प्लेग के दो संदिग्ध मामले सामने आए थे, जिनकी प्रयोगशाला जांच में पुष्टि हो गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 'ब्यूबोनिक प्लेग' नाम की यह जानलेवा बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है. इस बैक्टीरिया का नाम 'यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम' है. बताया जाता है कि यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों को अपनी चपेट में लेता है. इससे उंगलियां काली पड़कर सड़ने लग जाती हैं और नाक पर भी ऐसा ही असर पड़ता है.

यह भी पढ़ें: प्लाज्मा की मांग ज्यादा, डोनेट करने वालों की संख्या कम- दिल्ली के सीएम केजरीवाल

इतना ही नहीं, इस बीमारी से व्यक्ति को असहनीय दर्द होता और उसे तेज बुखार आता है. नाड़ी की रफ्तार तेज हो जाती है. शरीर में जैसे ही यह बीमारी प्रवेश करती है, उसके दो-तीन दिन के भीतर शरीर में गिल्टियां निकलना शुरू होती हैं, जो 14 दिन में पक जाती हैं. जिससे ऐसा भयंकर दर्द होता है, जो अंतहीन होता है.

बताया जाता है कि यह 'काली मौत' (ब्यूबोनिक प्लेग) सबसे पहले जंगली चूहों से शुरू होती है. जिसके बाद अन्य पिस्सुओं को चपेट में लेती है और फिर इसका बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए मनुष्य तक पहुंच जाता है. क्योंकि पिस्सू इंसान को काटता है, जिससे उसका संक्रामक लिक्विड इंसानों के खून में मिल जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी से चूहों के मरने की शुरुआत होने के एक-दो हफ्ते बाद ही यह प्लेग मनुष्यों में प्लेग है.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी के आगे झुका ड्रैगन, लद्दाख में हिंसा वाली जगह से 2 किमी पीछे हटी चीनी सेना

इस खतरनाक जानलेवा बीमारी का कहर दुनिया में पहले भी देखने को मिला है. पहली बार में इसने 5 करोड़ लोगों क जान ले ली थी. दूसरी बार में इस बीमारी ने पूरे यूरोप की एक तिहाई आबादी के बराबर इंसान को 'काली मौत' दी थी. जबकि तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी. इस बीमारी ने 6ठीं और 8वीं सदी में पहला हमला किया था. तब इसे प्लेग ऑफ जस्टिनियन (Plague Of Justinian) के नाम से जाना जाता था.  इसने दुनिया पर दूसरा हमला 1347 में किया. तब इसे नाम ब्लैक डेथ दिया गया था. 1894 के आसपास ब्यूबोनिक प्लेग का अटैक दुनिया पर तीसरा हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1994 में इस बीमारी ने भारत में दस्तक दी थी. पांच राज्यों में ब्यूबोनिक प्लेग के करीब 700 मरीज मिले थे. जिनमें से 52 लोगों की मौत हुई थी.