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तालिबान को 'पालने' पर अमेरिका ने पाक को झाड़ा, भारत की तारीफ की

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा.

Updated on: 14 Sep 2021, 01:26 PM

वॉशिंगटन:

अब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद खुशी मना रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने चेतावनी दी है.  अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान से अमेरिका के रिश्ते इस बात पर निर्भर करेंगे कि पाक तालिबान के साथ कैसे रिश्ते निभाता है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ वह तालिबानियों को पाल रहा है और दूसरी तरफ आतंकवाद विरोधी कई गतिविधियों में हमारा भी सहयोग कर रहा है." 

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पाक कर रहा दो नाव की सवारी
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस दौरान भारत की तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत की मौजूदगी से अफगान में पाकिस्तान की नुकसानदेह गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान के ऐसे कई फायदे हैं जो हमारे लिए दिक्कत पैदा कर सकते हैं. ब्लिंकेन ने कहा, "पाकिस्तान अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर लगातार दो नाव की सवारी कर रहा है. एक तरफ वह तालिबानियों को पाल रहा है और दूसरी तरफ आतंकवाद विरोधी कई गतिविधियों में हमारा भी सहयोग कर रहा है." 

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अफगानिस्तान से सेना की वापसी के मुद्दे से निपटने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को पुरजोर तरीके से बचाव किया. राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस साल अप्रैल में अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का ऐलान किया था. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने बेहद कम दिनों में अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसे लेकर अमेरिकी सांसदों ने बाइडन प्रशासन की आलोचना की थी.

अफगानिस्तान मामले पर संसद की समिति के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान सोमवार को ब्लिंकन ने कहा, '' इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अधिक समय तक ठहरने से अफगान सुरक्षा बल या अफगान सरकार को और अधिक मजबूती मिलती या वे आत्मनिर्भर हो जाते. यदि समर्थन, उपकरण और प्रशिक्षण में 20 साल और सैकड़ों अरब डॉलर पर्याप्त नहीं थे, तो एक और साल, या पांच या दस साल से क्या फर्क पड़ेगा?''