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ट्रंप ने एच-1बी वीजा धारकों को दिया बड़ा झटका, अब विदेशी कामगारों को नहीं रख सकेंगी एजेंसियां

अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा है. ट्रंप ने उस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत अब अमेरिका की सरकारी एजेंसियां एच-1बी वीजा धारकों को नौकरी पर नहीं रख सकेंगी.

Updated on: 04 Aug 2020, 11:39 AM

वॉशिंगटन:

अमेरिका में नौकरी की चाह रखने वाले भारतीय आइटी पेशेवरों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा झटका दिया है. ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अब अमेरिका की सरकारी एजेंसियां एच-1बी वीजा धारकों को नौकरी पर नहीं रख सकेंगी. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कामगारों के हितों को बचाने के नाम पर 23 जून को इस साल के अंत तक के लिए एच-1बी और विदेशी कामगारों को अमेरिका में काम करने के लिए जरूरी अन्य वीजा को निलंबित करने ऐलान किया था.  

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24 जून से प्रभावी होगा फैसला
अमेरिका में यह फैसला 24 जून से ही प्रभावी माना जाएगा. ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अब सस्ते विदेशी कामगारों के लिए कठिन परिश्रम करने वाले अमेरिकी नागरिकों को नौकरी से हटाया जाए. गौरतलब है कि बीते दिनों अमेरिका की पांच शीर्ष व्यापार संस्थाएं भी एच-1बी समेत तमाम नॉन-इमीग्रेशन वीजा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई थीं. इन संस्थाओं की दलील थी कि विदेशी कामगारों को वीजा नहीं देना अमेरिकी कारोबारों को प्रतिमा से वंचित करने वाला कदम है.

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क्या है एच-1बी वीजा
एच-1बी वीजा एक गैर आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी विशेषज्ञों को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है. अमेरिका में काम करने वाले ज्यादातर भारतीय आइटी पेशेवर इसी वीजा पर वहां जाते हैं. अमेरिकी टेक कंपनियां हर साल इसी वीजा पर भारत और चीन समेत दूसरे देशों से हजारों कर्मचारियों को नौकरी पर रखती हैं.