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सलमान रुश्दी पर हमला करने वाला चरमपंथियों का समर्थक, जांच में निकला ये सच 

मतार के सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच करने पर पाया कि वह शिया चरमपंथ और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजेसी) के प्रति सहानुभूति रखता है

Updated on: 15 Aug 2022, 12:52 PM

highlights

  • इंटरव्यू के दौरान रुश्दी पर चाकू से हमला किया था
  • उनकी  गर्दन, लिवर, हाथ और आंखों की सर्जरी की गई
  • 1988 में सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था

नई दिल्ली:

मशहूर लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie)  पर हमला करने वाला हमलावर हादी मतार को ईरानी सैन्य संगठन और चरमपंथियों के प्रति सहानुभूति रखता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मतार के सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच करने पर पाया कि वह शिया चरमपंथ और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजेसी) के प्रति सहानुभूति रखता है. गौरतलब है कि मतार ने 13 अगस्त को पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन  में आयोजित इंटरव्यू के दौरान रुश्दी पर चाकू से हमला किया था. रुश्दी को हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया, जहां उनको वेंटिलेटर पर रखा गया. उनकी गर्दन, लिवर, हाथ और आंखों की सर्जरी की गई.

भारतीय मूल के लेखक के बेटे जफर रुशदी ने अपने बयान में बताया कि शुक्रवार को हुए हमले के बाद मेरे पिता का इलाज चल रहा है. कल उन्हें वेंटिलेटर और अतिरिक्त ऑक्सीजन से हटा दिया गया था. अब वह कुछ-कुछ बोल भी पा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मतार के फोन पर सोलेमानी और अबू महदी अल-मुहांडिस, इराक समर्थक ईरानी मिलिशिया आंदोलन के नेता, जो 2020 के ड्रोन हमले में भी मारे गए थे, की तस्वीरें मिलीं.

सलमान रुश्दी द्वारा मुस्लिम परंपराओं पर लिखे गए उपन्यास द सैटेनिक वर्सेस को लेकर ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला खामैनी ने 1988 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. हमले को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, ईरान के एक राजनयिक ने कहा, हमारा इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है. रुश्दी का जन्म भारतीय स्वतंत्रता के वर्ष 1947 में मुंबई में हुआ था. उन्होंने ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इतिहास की पढ़ाई की है.

उन्हें उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए 1981 में बुकर प्राइज और 1983 में बेस्ट ऑफ द बुकर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया. रुश्दी ने लेखक के तौर पर शुरुआत 1975 में अपने पहले उपन्यास ग्राइमस के साथ की थी.