IS फिदायीन से भारत को पूछताछ करने देगी रूस की खुफिया संस्था FSB
इस्लामिक स्टेट के गिरफ्तार फिदायीन आतंकी से भारत को पूछताछ की अनुमति से पहले रूस उज्बेकिस्तान से स्वीकृति लेगा. भारतीय एजेंसियां उस स्थानीय कड़ी का पता लगाने की इच्छुक हैं जो उसे विस्फोटक उपलब्ध कराता. साथ ही यह भी कौन नेता उसके निशाने पर थे.
highlights
- 27 जुलाई 2022 को रूसी खुफिया संस्था ने गिरफ्तार किया था आईएस आतंकी को
- रूसी एजेंसी की पूछताछ में उसने भारत में आत्मघाती हमले करने की साजिश कबूली
- उसके निशाने पर बीजेपी समेत संघ के कई बड़े नेता थे, जिन्हें वह मारने की कोशिश में था
मॉस्को:
रूस सैद्धांतिक रूप से अपनी हिरासत में लिए गए इस्लामिक स्टेट (Islamic State) के आतंकवादी तक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पहुंच की अनुमति देने के लिए सहमत हो गया है. हालांकि इसके पहले रूस कट्टरपंथी के मूल देश उजबेकिस्तान (Uzbekistan) से इसके लिए स्वीकृति प्राप्त करेगा. गौरतलब है कि 27 जुलाई 2022 को रूस की सुरक्षा एजेंसी एफएसबी की गिरफ्त में आया आईएस का फिदायीन (Suicide Bomber) आतंकी कथित ईशनिंदा के आरोप में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं की आत्मघाती आतंकी हमले में हत्या की योजना बना रहा था. गौरतलब है कि एफएसबी ने ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को 30 वर्षीय उज्बेकी नागरिक मशराबक्न अजामोव की गिरफ्तारी की सूचनी दी थी. उन्होंने बताया था कि गिरफ्तार आईएस आतंकी ने पूछताछ में भारत (India) में सत्तारूढ़ दल के बड़े नेता के खिलाफ आत्मघाती आतंकी हमले की साजिश रचने की बात कबूली थी. अजामोव और एक अन्य किर्गिस्तानी नागरिक को भारत के खिलाफ आतंकी अभियान के लिए ऑनलाइन चैनलों समेत तुर्की (Turkiye) में आईएस हैंडलर ने कट्टरता का पाठ पढ़ाया था. आईएस के फिदायीन आतंकी ने भारतीय आव्रजन अधिकारियों की सघन जांच से बचने के लिए मॉस्को के रास्ते भारत में प्रवेश की योजना बनाई थी, लेकिन इसके पहले ही वह खुफिया सूचना के आधार पर धरा गया.
भारत में आईएसकेपी की कड़ियों को जोड़ने में मदद करेगी फिदायीन से भारतीय एजेंसियों की पूछताछ
भारत और रूस धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में साझेदार है. इसी साझेदारी के तहत एफएसबी ने अपनी समकक्ष भारतीय खुफिया एजेंसी को जानकारी दी है कि उजबेकिस्तान से स्वीकृति हासिल करने के बाद वे भारतीय एजेंसियों को आईएस के फिदायीन आतंकी अजामोव से पूछताछ करने देगी. बताते हैं कि अजामोव के साथ आतंकी पाठ पढ़ने वाला किर्गिस्तान का नागरिक एफएसबी की गिरफ्त में आने से बच कर वापस तुर्की चला गया. यद्यपि अजामोव से अब तक हुई पूछताछ के बाद रूसी खुफिया संस्था एफएसबी ने भारत के संदर्भ में प्रासंगिक जानकारियों को साझा कर लिया है. फिर भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अपने स्तर पर उस स्थानीय कड़ी को जानने की इच्छुक हैं, जो आईएस के फिदायीन को भारत में विस्फोटक उपलब्ध कराता. इसके साथ ही एजेंसियां यह जानने की भी जुगत में है कि आखिर इस फिदायीन के निशाने पर कौन अति विशिष्ट नेता थे. यही नहीं, भारतीय एजेंसियों के एजेंडे पर यह जानना भी प्राथमिकताओं में शामिल है कि आखिर तुर्की में भारत के खिलाफ कट्टरता फैलाने के पीछे कौन है. गौरतलब है कि तुर्की फिलवक्त पाकिस्तान का एक नजदीकी दोस्त बनकर उभरा है.
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तेलंगाना और केरल में आईएसकेपी की मौजूदगी के संकेत
यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासन (आईएसकेपी) की मौजूदगी के सबूत तेलंगाना और केरल में मिले हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध में आईएसकेपी अपने आतंकियों की संख्या बढ़ा रहा है. आईएसकेपी ऐसा आतंकी संगठन है, जो मध्ययुगीन कट्टर इस्लाम के प्रचार-प्रसार के नाम पर हरसंभव भू-भाग और सत्ता पर कब्जा करना चाहता था. सुन्नियों को सर्वोच्च मानने वाला आईएसकेपी इस्लाम के बाकी अन्य संप्रदायों के जबर्दस्त खिलाफ है. अफगानिस्तान में सक्रिय आईएसकेपी पाकिस्तानी सेना की छत्रछाया में तालिबान को अर्दब में रखने के लिए काम कर रहा है. इसके साथ ही अफगानिस्तान में सुन्नी पश्तून फोर्स पर नियंत्रण रखा शिया हाजरा समुदाय के खिलाफ भयंकर रक्तपात मचाए हुए है. उसके आतंकी हमलों के निशाने पर शिया हाजरा समुदाय की महिलाओं, बच्चों समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं.
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भारत ही नहीं चीन के लिए भी सिरदर्द बन सकता है आईएसकेपी
बीते कुछ दिनों में अफगानिस्तान के शिया हाजरा के इलाकों में आईएस ने कई आतंकी हमले किए, जिनके निशाने पर स्कूल और अस्पताल भी रहे. तालिबान के लड़ाके भी आईएसकेपी पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यही है कि तालिबान का अभी अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण नहीं है. इसका फायदा उठा आईएसकेपी अमीरात के इन हिस्सों को अति-रूढ़िवादी और कट्टरपंथी इस्लामिक ईकाई में तब्दील कर देना चाहता है और इसी अभियान में जुटा हुआ है. आईएसकेपी अपने इन्हीं मंसूबों को लेकर भारत के लिए समस्या बन रहा है, जो देर-सवेर मध्य एशियाई देशों समेत चीन के लिए भी एक बड़ा सिरदर्द साबित होगा.
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