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नेपाली पीएम ओली भारत के पिट्ठु...कर दी संसद भंग, प्रचंड का 'प्रचंड' सियासी दांव

'अब क्या ओली ने भारत के निर्देश पर पार्टी को विभाजित कर दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया?'

Updated on: 14 Jan 2021, 10:34 AM

काठमांडू:

नेपाल (Nepal) के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली गुरुवार से भारत दौरे पर हैं. इसके पहले नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के धुर विरोधी और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक धड़े के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने नेपाली सियासी संकट में एक बड़ा धमाका कर दिया है. उन्होंने नेपाली पीएम ओली को भारत (India) का पिट्ठु बताते हुए आरोप लगाया है कि ओली ने भारत के इशारे पर सत्तारूढ़ दल को विभाजित कर संसद भंग कर दी. गौरतलब है कि केपी शर्मा ओली ने अचानक संविधान विरोधी कदम उठाते हुए संसद भंग कर दी थी. इसके बाद नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों में एका कराने आए चीनी प्रतिनिदिमंडल को भी ठेंगा दिखा दिया था.

दोतरफा खेल रहे ओली
यही नहीं, केपी शर्मा ओली ने एक बार फिर बुधवार को भारत विरोधी रुख का परिचय देते हुए लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना बताते हुए भारत समेत चीन को नसीहत देते हुए कहा था नेपाल की संप्रभुत्ता से कतई कोई समझौता नहीं किया जाएगा. नेपाली विदेश मंत्री ग्यावली की भारत यात्रा से पहले इस तरह के बयान से ओली ने यह जताने की कोशिश की थी कि वह भारत से दोस्ती के प्रयासों के बीच भी नेपाली राष्ट्रीयता के साथ कतई कोई समझौता नहीं करेंगे. 

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भारत के इशारे पर नेपाली संसद भंग हुई!
इस बीच बुधवार को ही नेपाल एकेडमी हॉल में अपने धड़े के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने कुछ ही दिन पहले आरोप लगाया था कि एनसीपी के कुछ नेता भारत की शह पर उनकी सरकार को गिराने की साचिश रच रहे थे. उन्होंने कहा कि इसीलिए मेरे धड़े ने ओली को इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं किया क्योंकि इससे एक संदेश जाता कि ओली का बयान सच है. इसके बाद ही वह आरोप लगा बैठे कि अब क्या ओली ने भारत के निर्देश पर पार्टी को विभाजित कर दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया?' उन्होंने कहा कि सच नेपाल की जनता के सामने आ गया.

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रॉ प्रमुख से एकांत में मिले थे ओली'
प्रचंड ने आरोप लगाया, 'ओली ने भारत की खुफिया शाखा रॉ के प्रमुख सामंत गोयल से बालुवतार में अपने निवास पर किसी भी तीसरे व्यक्ति की गैरमौजूदगी में तीन घंटे तक बैठक की, जो स्पष्ट रूप से ओली की मंशा दर्शाता है.' उन्होंने प्रधानमंत्री पर बाहरी ताकतों की गलत सलाह लेने का आरोप लगाया. प्रचंड ने कहा कि प्रतिनिधि सभा को भंग करके ओली ने संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को एक झटका दिया, जिसे लोगों के सात दशक के संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था.