logo-image

LoC की निगरानी के लिए पाकिस्तान ने खरीदा चीन का जिलिन-1 सैटेलाइट डेटा

यह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास स्थित भारतीय सेना के शिविरों की सटीक स्थिति से संबंधित जानकारी भी प्रदान करा सकता है.

Updated on: 31 Aug 2020, 08:34 AM

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) ने चीन से रियल टाइम सैटेलाइट डेटा खरीदा है, जिसमें उच्च तकनीकि से समृद्ध वीडियो, ऑप्टिकल और हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजरी जैसी चीजें शामिल हैं और साथ ही यह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास स्थित भारतीय सेना के शिविरों की सटीक स्थिति से संबंधित जानकारी भी प्रदान करा सकता है. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने साल 2020 तक जिलिन-1 उपग्रह डेटा की खरीद के लिए चीन के साथ एक करार किया था.

यह भी पढ़ेंः China को घेरने की तैयारी में भारत, साउथ चाइना सी में तैनात किया ये युद्धपोत

ढेरों खूबियों से युक्त
इसकी कई अन्य सारी खूबियां भी हैं. जैसे कि इसमें वैश्विक कवरेज की क्षमता के साथ कक्षा या ऑर्बिट दस उपग्रहों का एक नेटवर्क शामिल भी है और यह दिन में दो बार किसी भी जगह का परिभ्रमण कर सकता है. एक सूत्र ने कहा जिलिन-1 द्वारा प्रदान किए जाने वाले पैंक्रोमैटिक ईमेज का रिजॉल्यूशन 0.72 मीटर और मल्टी-स्पेक्ट्रल छवि 2.88 मीटर है. जिलिन, चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड द्वारा संचालित चीन का वाणिज्यिक रिमोट सेंसिंग उपग्रह है.

यह भी पढ़ेंः प्रशांत भूषण को 6 माह की कैद या जुर्माना, SC का फैसला आज

भारत पर है नजर
सूत्रों ने कहा कि साल 2019 में पाकिस्तान ने एल-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) और जिलिन-1 डेटा खरीदा था. यह सैटेलाइट धरती की सटीक और स्पष्ट तस्वीरें भेजने में कारगर है. इन्हें खरीदने के विषय पर कहा गया कि यह भूमि और संसाधनों के सर्वेक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, कृषि अनुसंधान, शहरी विकास और अन्य गतिविधियों के लिए डेटा की खरीददारी कर रहा है. 2018 में चीन ने पाकिस्तान के लिए दो सुदूर संवेदन उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जिसमें दावा किया गया कि यह चीन-पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की प्रगति पर नजर रखेगा.

यह भी पढ़ेंः एस जयशंकर का इमरान खान को तीखा जवाब, दूसरों के इशारों पर आप नाचते हैं, हम नहीं

दोतरफा युद्ध जैसी स्थिति
इसी के साथ पाकिस्तान प्रौद्योगिकी मूल्यांकन उपग्रह और पीआरएसएस-1 जैसे उपग्रहों को लॉन्ग मार्च-2सी रॉकेट के इस्तेमाल से लॉन्च किया जा चुका है. हाल के दिनों में पाकिस्तान ने एलओसी पर जितनी बार सीजफायर का उल्लंघन किया है और चीन ने पूर्वी लद्दाख में जिस तरह से अपनी उपस्थिति मजबूत की है, उसे देखते हुए भारत के लिए दोतरफा फ्रंट वार जैसे हालात बन गए हैं.