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China को घेरने की तैयारी में भारत, साउथ चाइना सी में तैनात किया ये युद्धपोत

पूर्वी लद्दाख में कई माह से भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति कायम है. भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन इसके बाद पहले वाली यथास्थिति कायम नहीं हो पा रही है.

Updated on: 30 Aug 2020, 07:00 PM

नई दिल्‍ली:

पूर्वी लद्दाख में कई माह से भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति कायम है. भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन इसके बाद पहले वाली यथास्थिति कायम नहीं हो पा रही है. अब भारत ने चीन को और भी घेरने की रणनीति बना ली है. चुपचाप भारत ने साउथ चाइना-सी में अपना यु्द्धपोत तैनात कर दिया है. इस क्षेत्र में चीनी भारतीय नौसेना के जहाजों की तैनाती पर आपत्ति जता रहा है. यहां चीन कृत्रिम द्वीपों और सैन्य उपस्थिति के माध्यम से 2009 से अपनी उपस्थिति में काफी विस्तार कर चुका है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, गलवान हिंसा में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद इंडियन नेवी ने साउथ चाइना सी में अपने फ्रंटलाइन युद्धपोत को तैनात कर दिया. इस क्षेत्र को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपनी सीमा के भीतर बताने का दावा करता है और दूसरे देशों की सैन्य शक्तियों की उपस्थिति को गलत बताता है.

सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर में इंडियन नेवी के युद्धपोत की तैनाती का चीनी नौसेना और सुरक्षा प्रतिष्ठान पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा. भारतीय पक्ष के साथ राजनयिक स्तर की वार्ता के दौरान चीन ने भारतीय युद्धपोत की उपस्थिति के बारे में भारत से शिकायक की. सूत्रों का कहना है कि भारतीय युद्धपोत वहां मौजूद अमेरिका के युद्धपोतों से लगातार संपर्क बनाए हुए थे.

सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारतीय नौसेना के स्पष्ट संदेश को चीन समझ रहा है : सूत्र

आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में सभी अग्रणी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की आक्रामक तरीके से तैनाती के जरिए भारतीय नौसेना ने बीजिंग को स्पष्ट संदेश दे दिया है. शीर्ष रक्षा सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत के इस रूख को चीन समझ रहा है. भारतीय नौसेना ने 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के मद्देनजर सीमा पर बढ़े तनाव के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में अपने अग्रणी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती कर अपना इरादा साफ तौर पर जाहिर कर दिया है.

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने थल सेना, वायु सेना और नौसेना के साथ ही कूटनीतिक और आर्थिक कवायद के जरिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर चीन को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि पूर्वी लद्दाख में उसका दुस्साहस स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों के प्रमुख तकरीबन हर दिन विचार-विमर्श कर स्थिति से निपटने तथा चीन को भारत के स्पष्ट संदेश से अवगत कराने के लिए समन्वित रूख सुनश्चित कर रहे हैं.

सूत्रों ने बताया कि सीमा विवाद को लेकर सैन्य जवाब पर तीनों सेनाएं साथ मिलकर काम कर रही हैं. नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती बढ़ाते हुए चीन पर दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि मलक्का जलसंधि के आसपास का क्षेत्र समुद्री मार्ग से उसकी आपूर्ति कड़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. विस्तार से बताए बिना एक सूत्र ने कहा कि हां चीन हमारे संदेश को समझ रहा है.

क्या चीन ने भारत की तैनाती पर जवाब दिया है, इस पर सूत्रों ने कहा कि हिंद महासागर में चीनी पोतों की गतिविधियों में बढोतरी नहीं देखी गयी है. उन्होंने कहा कि इसका कारण हो सकता है कि पीएलए की नौसेना ने अमेरिका के सख्त विरोध के बाद दक्षिण चीन सागर में अत्यधिक संसाधनों को लगा रखा है. नौवहन की आजादी को प्रदर्शित करने के लिए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में कई पोत भेजे हैं और क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद वाले देशों का भी वह समर्थन जुटा रहा है.