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भारत की नो फर्स्ट यूज परमाणु नीति में बदलाव से डरा पाकिस्तान

पाकिस्तान के विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी की बढ़ती ताकत और लगातार मिल रहे संकेतों से पता चल रहा है कि भारत अपनी 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी पर दोबारा विचार कर रहा है।

Updated on: 01 Apr 2017, 05:45 PM

नई दिल्ली:

भारत की परमाणु नीति में बदलाव के संकेत से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ गई है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी की बढ़ती  ताकत और लगातार मिल रहे संकेतों से पता चल रहा है कि भारत अपनी 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी पर दोबारा विचार कर रहा है। 

पाकिस्तान के अखबार डॉन के अनुसार, वहां के रक्षा विशेषज्ञ भारत के इस रुख से चिंतित हैं। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे समय में जब भारत में हिंदुत्ववादी सरकार है तो परमाणु हथियार के इस्तेमाल को लेकर भारत अपनी नीति में बदलाव कर सकता है। यानी किसी हमले की आशंका में भारत पहले ही अपने दुश्मन के खिलाफ बड़ा और व्यापक स्तर का न्यूक्लियर हमला कर सकता है।

पाकिस्तान के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के पूर्व चेयरमैन एहसान उल हक के बयान से उसकी चिंता साफ नज़र आ रही है। द डॉन में रविवार को छपे एक लेख में
हक ने कहा कि एक्सपर्ट्स के खुलासे से भारत के नो फर्स्ट यूज पॉलिसी के दावे की 'कलई खुल गई है।'

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पाकिस्तान के स्ट्रैटिजिक प्लानिंग डिविजन के डॉ नईम सालिक की लिखी एक किताब 'लर्निंग टु लिव विद द बॉम्ब, पाकिस्तान 1998-2016' के विमोचन के मौके पर हक ने कहा, 'यह चिंताजनक है कि ऐसा भारतीय जनता पार्टी की कट्टर हिंदुत्व एजेंडे वाली सरकार की पृष्ठभूमि में हो रहा है।'

पाकिस्तान की परेशानी इस बात पर और बढ़ गई जब मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ( MIT) के विपिन नारंग ने वॉशिंगटन में आयोजित इंटरनेशनल न्यूक्लियर पॉलिसी कॉन्फ्रेंस में दिए गए व्याख्यान के बाद और बढ़ गई।

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नारंग ने कहा था, 'भारत का शुरुआती हमला पारंपरिक हमले जैसा नहीं होगा। भारत अपने दुश्मन के न्यूक्लियर मिसाइल सिस्टम को तबाह करने तक ही खुद को सीमित नहीं रखेगा। वो एक बड़ा और वृहद हमला करेगा, जिसका मकसद पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडार को पूरी तरह बर्बाद करना होगा। ताकि उसे पाकिस्तान के खिलाफ बार-बार जवाबी हमले न करने पड़ें और न ही उस पर जवाबी परमाणु हमलों का खतरा मंडराए। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि भारत अब पाकिस्तान को पहले हमला करने का मौका नहीं देगा।'

कुछ महीने पहले नवंबर में पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि भारत हमेशा 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी पर कायम रहेगा ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा था कि भारत अब किसी भी जरूरत पड़ने पर पहले परमाणु हमला कर सकता है।

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जनरल हक कका कहना है कि भारत इस तरफ लगातार संकेत दे रहा है। उनके मुताबिक, भारत की तरफ से बार-बार बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान के मुद्दे उठाने, सार्क समिट में बाधा पहुंचाने, लाइन ऑफ कंट्रोल पर तनाव बढ़ाने, सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशों और देश में युद्धोन्माद के माहौल से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया।'

वहीं, डॉ सालिक ने कहा, 'हमें अपनी तरफ के खेल के साथ यह भी देखना होगा कि दूसरी तरफ क्या चल रहा है, ताकि हम उनसे (भारत) भी सीख सकें और अपनी नीतियों में बदलाव कर सकें।'

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पाकिस्तान के मंत्री और जनरल लगातार भारत को परमाणु हमले की धमकी देता रहता है। भारत में भी विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु हथियारों की 'पहले इस्तेमाल' न करन े की निती पर विचार करना चाहिये।

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