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रॉ चीफ से मुलाकात पर मुश्किल में ओली सरकार, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मांगा जवाब

नेपाल की सत्तारूढ़ के पांच शीर्ष नेताओं ने ओली को बाकायदा पत्र लिख कर इस पर जबाब देने और पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक तत्काल बुलाने की मांग की है.

Updated on: 08 Nov 2020, 03:15 PM

काठमांडू:

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को भारतीय खुफिया विभाग रॉ के प्रमुख सामन्त गोयल से मुलाक़ात करना अब महंगा पड़ रहा है. नेपाल की सत्तारूढ़ के पांच शीर्ष नेताओं ने ओली को बाकायदा पत्र लिख कर इस पर जबाब देने और पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक तत्काल बुलाने की मांग की है. ओली विरोधी नेताओं ने प्रधानमंत्री को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए सामंत गोयल से हुए मुलाक़ात पर चर्चा करने के लिए पार्टी बैठक बुलाने की मांग की है. विरोधी खेमे के नेताओं का कहना है कि यदि प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाकर सामंत गोयल से मुलाक़ात के बारे में चर्चा नहीं की  तो उनके खिलाफ कदम  जाएगा.

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के नेपाल दौरा के तुरंत बाद कम्युनिष्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचण्ड सहित पांच बड़े नेताओं ने पहले तो कोर ग्रुप की बैठक की उसके बाद वो सभी प्रधानमंत्री निवास पहुंच कर उन्हें एक पत्र सौंपा जिसमे अन्य विषयो के साथ रॉ चीफ सामंत गोयल से मुलाक़ात के प्रसंग को प्रमुखता से उठाया गया है. ओली विरोधी नेताओं का आरोप है कि रॉ चीफ से मुलाक़ात कर प्रधानमंत्री के पी ओली ने देश के स्वाभिमान के साथ समझौता किया है. किसी दूसरे देश के खुफिया प्रमुख के साथ प्रधानमंत्री की मुलाक़ात किसी भी प्रोटोकॉल के खिलाफ है और रात के अँधेरे में चुपचाप अकेले मिलना देश के लिए खतरनाक है.

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ का कहना है कि इस विषय पर बातचीत और चर्चा के लिए हम लोग कई दिन से प्रयासरत हैं लेकिन प्रधानमंत्री ओली बैठक बुलाने से  दिया है. पार्टी प्रवक्ता ने प्रचंड के हवाले से मीडिया को बताया कि जब प्रचंड ने ओली को पार्टी बैठक के लिए आग्रह किया तो प्रधानमंत्री ओली ने पार्टी विभाजन की धमकी दे डाली.

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पिछले 15 दिनों से ओली और प्रचंड के बीच बातचीत बंद थी, लेकिन अभी दो दिन पहले जब प्रचंड प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे तब दोनों के बिच में काफी तीखी बहस हुई और बात इतनी आगे बढ़ गई दोनों नेता आपसी सहमति में ही पार्टी विभाजन की बात करने लगे. हालांकि रॉ चीफ से मुलाक़ात को लेकर प्रधानमंत्री ओली ने शनिवार की रात को एक निजी टीवी चैनल पर इंटरव्यू दिया. इसमें ओली ने रॉ चीफ से हुई मुलाक़ात के बारे में कहा कि वो प्रधानमंत्री मोदी के विशेष दूत के रूप में आए थे इसलिए उनसे नहीं मिलने का सवाल ही नहीं है. दोनों देशों के रिश्ते सुधारने की बात हुई. साथ ही प्रधानमंत्री ने किसी के भी दबाब में ना तो पार्टी मीटिंग बुलाने और ना ही पद छोड़ने  की बात स्पष्ट कर है.

सोमवार तक यदि ओली ने पार्टी की मीटिंग नहीं बुलाई तो उनके विरोधी कोई बड़ा कदम उठाने की सोच रहे हैं. पार्टी के नेताओं ने बताया कि ओली को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव तक लाने की तैयारी है. लेकिन ओली ने पार्टी के संसदीय दाल में अपने पक्ष में बहुमत होने का दावा किया है.