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अब नेपाल के विदेश मंत्री का बेतुका बयान- रामायण के नहीं पुख्ता प्रमाण, समय बदला तो...

भगवान् श्रीराम और अयोध्या (Ayodhya) को लेकर विवादित बयान देने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली (KP Sharma Oli) से दो कदम आगे बढ़कर नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली (Pradeep Gyawali) ने उससे भी अधिक आपत्तिजनक बयान दिया है.

Updated on: 15 Jul 2020, 07:19 AM

काठमांडू:

भगवान् श्रीराम और अयोध्या (Ayodhya) को लेकर विवादित बयान देने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली (KP Sharma Oli) से दो कदम आगे बढ़कर नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली (Pradeep Gyawali) ने उससे भी अधिक आपत्तिजनक बयान दिया है. प्रधानमंत्री ओली के विवादित बयान का बचाव करने के लिए उतरे नेपाल के विदेश मंत्री ने कम्यूनिस्ट पार्टी के करीबी न्यूज ऑनलाइन को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि रामायण सभ्यता पर अभी भी नेपाल और भारत में अध्ययन चल रहा है और अब तक सिर्फ विश्वास के आधार पर ही हम सभी बातों को मानते आ रहे हैं.

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ज्ञवाली ने यह भी कहा कि हमें यही बताया गया कि सीता का जन्म जनकपुर में हुआ और राम का जन्म अयोध्या में हुआ. लेकिन जिस दिन इस पर अनुसंधान से कुछ और साबित हो जाएगा तब रामायण का इतिहास ही बदल जाएगा. ज्ञवाली ने कहा कि लोगों की भावना से जुड़ी हुई बातें है इसलिए इस पर हम अभी बहुत कुछ नहीं बोलना चाहते हैं लेकिन जिस दिन अध्ययन अनुसंधान से कुछ और पता चलेगा तो फिर लोग वाही मानने लगेंगे.

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प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि जहां तक मैं समझता हूँ, रामायण सभ्यता की पुरातात्विक अध्ययन को पुष्टि करने के लिए हमारे पास अभी भी पर्याप्त प्रमाण नहीं है. अब तक हमारे परम्परागत विश्वास के आधार पर, हमारी आस्था के आधार पर हम यही कहते आ रहे हैं कि सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था, उनकी शादी राम के साथ हुई थी अयोध्या में हुई. लेकिन कल को अध्ययन से अगर इसके अलावा किसी बात की पुष्टि करती है तो कई साड़ी बातें बदल सकती है. जब तक दूसरे किसी तथ्य के द्वारा कोई और बात प्रमाणित नहीं हो जाती तब तक ही हम इस बात को मानेंगे. ये सब बातें जनता की भावना से जुड़ी हुई है इसलिए उसी हिसाब से पेश होना होता है.
 
प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि रामायण में चर्चा में रहे स्थान कहां कहां हैं इस बात पर दोनों देशों में अभी भी चर्चा चल ही रही है. इसके सांस्कृतिक भूगोल को अंतिम रूप देना बांकी है. जैसे बुद्ध को लेकर हमारे पास लिखित और अन्य आधार पर पुष्टि करने का प्रमाण है लेकिन रामायण को लेकर ऐसा नहीं है."