नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा फिलहाल टलता नजर आ रहा है. चीन की दखलंदाजी के बाद केपी ओली (KP oli) की कुर्सी सुरक्षित नजर आ रही है. नेपाली मीडिया के अनुसार चीन के दखल के बाद पार्टी के सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग को फिलहाल छोड़ने का फैसला किया है. जिसके बाद नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में भी टूट का खतरा टल गया है. चीन (China) के बाहरी दबाव के चलते ओली और प्रचंड ने रविवार को आपसी समझौते के लिए हामी भर ली है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में चीन की राजदूत हाओ यांकी की सक्रियता ने ओली के पक्ष में काम किया. हाओ यांकी ने ओली और प्रचंड के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और एनसीपी के बड़े नेताओं के साथ विवाद को सुलझाने के लिए मीटिंग की थी. जबकि पार्टी के शीर्ष नेता भी प्रचंड और ओली के समझौते की पूरी कोशिश में लगे हैं. नतीजन, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी स्थायी समिति की अहम बैठक को रविवार को सातवीं बार टाल दिया. अब इसका कार्यक्रम मंगलवार के लिये निर्धारित किया गया है.
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इस बीच, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच सत्ता साझीदारी पर बातचीत के प्रयास तेज कर दिए हैं. यह सातवीं बार है, जब सत्तारूढ़ पार्टी ने अपनी स्थायी समिति की बैठक टाली है. पार्टी की 45 सदस्यीय शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक सबसे पहले 24 जून को बुलाई गई थी, जिसके पहले प्रधानमंत्री ओली ने आरोप लगाया था कि पार्टी के कुछ नेता कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा, तीन भारतीय क्षेत्रों को देश के नए राजनीतिक नक्शे में शामिल करने के बाद उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए दक्षिणी पड़ोसी देश के साथ मिल गए हैं.
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प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वे लोग इस्तीफा मांग रहे हैं, न कि भारत मांग रहा है. उन्होंने ओली को अपने आरोप के समर्थन में सबूत दिखाने को भी कहा. पूर्व प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ समेत एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग की है. उनका कहना है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी न तो राजनीतिक रूप से सही थी और न ही कूटनीतिक रूप से उपयुक्त थी. सूत्रों ने बताया कि ओली और प्रचंड ने अपने बीच मतभेदों को दूर करने के लिए हाल के हफ्तों में कम से कम आठ बैठकें की. लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा एक व्यक्ति एक पद की शर्त मंजूर नहीं करने के कारण ये बैठकें बेनतीजा रहीं.
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