पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के 7 सहयोगियों के पास दोहरी नागरिकता

सूचना मंत्री शिबली फराज ने शनिवार को ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देश पर जानकारी सार्वजनिक की गई है.

सूचना मंत्री शिबली फराज ने शनिवार को ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देश पर जानकारी सार्वजनिक की गई है.

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Ravindra Singh
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Imran Khan

इमरान खान( Photo Credit : फाइल)

एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए पाकिस्तान सरकार ने प्रधानमंत्री इमरान खान के सभी 15 विशेष सहायकों की संपत्ति और नागरिकताओं को सार्वजनिक कर दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री के सात सहायकों के पास या तो दोहरी नागरिकता या किसी दूसरे देश में स्थायी निवास का अधिकार होने की बात सामने आई है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, उनकी संपत्ति और नागरिकता का विवरण कैबिनेट डिवीजन की वेबसाइट पर डाला गया है.

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सूचना मंत्री शिबली फराज ने शनिवार को ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देश पर जानकारी सार्वजनिक की गई है. हालांकि, इस सूची में वित्त और राजस्व मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार अब्दुल हफीज शेख और वाणिज्य व निवेश पर प्रधानमंत्री के सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद शामिल नहीं हैं. यह कदम बढ़ती आलोचना और प्रधानमंत्री के करीबी लोगों की संपत्ति की घोषणा करने के दबाव के बीच उठाया गया है.

इन सात पाकिस्तानी पीएम के खास लोगों के पास है दोहरी नागरिकता
इन सात में सैयद जुल्फिकार बुखारी (ब्रिटेन), नदीम अफजल गोंडल (कनाडा), नदीम बाबर (अमेरिका), मोईद वसीम युसुफ (अमेरिका), शहजाद सैयद कासिम (अमेरिका) और तानिया एद्रस (जन्म से कनाडाई और सिंगापुर में स्थायी निवास का अधिकार) हैं. उधर, राजनीतिक संचार पर प्रधानमंत्री के सहयोगी शहबाज गिल के पास ग्रीन कार्ड है. विपक्षी दलों ने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को कश्मीर पर कूटनीति में पूरी तरह विफल रहने और कश्मीर मुद्दे पर अफगानिस्तान के साथ समझौता करने को लेकर कड़ी आलोचना की है. इमरान खान सरकार को विपक्षी दलों की गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जो देश को चलाने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं.

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कल्पनालोक में जी रहे इमरान
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने मौजूदा विदेश नीति को सफलता की एक कहानी के रूप में पेश करने की कोशिश के लिए सरकार की भर्त्सना की. उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री इमरान खान को उनकी सरकार की विदेश नीति को एक सफलता के रूप में देखने के लिए आश्चर्यचकित हूं. कश्मीर मुद्दे पर पूरी तरह से समझौता किया गया है. कश्मीर पांच अगस्त, 2019 से हमारे हाथों से बाहर है और उनकी सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया है.

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पाकिस्तान के मित्र देश भी भारत के साथ आए
उन्होंने सवाल किया, भारत भारी वोटों के साथ यूएनएससी का अस्थायी सदस्य बन गया और हमारी सरकार की विदेश नीति सुन्न हो गई और मामले में पूरी तरह से अप्रासंगिक हो गई. मैं पूछता हूं कि जब यह तथाकथित सफल कूटनीति सक्रिय थी तो यह कैसे और क्यों हुआ? पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता ख्वाजा आसिफ ने कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करने में विफलता के लिए सरकार की आलोचना की.

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