चीन की गोद में खेल रही नेपाली संसद ने भारतीय इलाकों वाले विवादित नक्शे को दी मंजूरी
प्रस्ताव को बहुमत से पारित किया गया. उच्च सदन में संशोधित नक्शे के पक्ष में 57 वोट पड़े, जबकि विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा.
काठमांडू:
रोटी-बेटी वाले ऐतिहासिक संबंधों की दुहाई के बावजूद चीन की गोद में खेल रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने भारतीय इलाकों पर दावा ठोकने वाले नक्शे से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को उच्च सदन में भी पारित करा लिया. इस प्रस्ताव को बहुमत से पारित किया गया. उच्च सदन में संशोधित नक्शे के पक्ष में 57 वोट पड़े, जबकि विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा. इसके पहले भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विगत दिनों नेपाल सरकार को संकेत दिया था कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं. ऐसे में संशोधित नक्शे से जुड़ा विधेयक संसद में पास कराने से उन पर असर पड़ेगा. बेहतर हो कि दोनों देश बातचीत के जरिये ही इस मसले को भी सुलझाएं.
Nepal: The New Map Amendment Bill (Coat of Arms) proposes change in the map of Nepal to include parts of Indian territory. https://t.co/lFhn6BW2DW
— ANI (@ANI) June 18, 2020
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भारत पर लगाया अवैध कब्जे का आरोप
भारत की तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए नेपाली संसद के उच्च सदन नेशनल असेंबली ने गुरुवार को देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश संविधान संशोधन विधेयक को बहुमत से अपनी मंजूरी दे दी. इस दौरान सत्ताधारी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के संसदीय दल के नेता दीनानाथ शर्मा ने कहा कि भारत ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर अवैध रूप से कब्जा किया है और उसे नेपाली जमीन को लौटा देना चाहिए. वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया.
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395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया
भारत के साथ सीमा विवाद के बीच इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था. इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है. भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए नक़्शे को मंजूर करने से इनकार किया है और कहा है की यह सिर्फ राजनीतिक हथियार है, जिसका कोई आधार नहीं है.
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