logo-image

AGR देनदारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों से 10 साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट मांगा

कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह AGR भुगतान को लेकर कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार करे और जुलाई के तीसरे हफ्ते तक जवाब दाखिल करे. अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी.

Updated on: 18 Jun 2020, 01:10 PM

नई दिल्ली:

टेलीकॉम कंपनियों पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की देनदारी के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को अपना 10 साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट जमा कराने को कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह AGR भुगतान को लेकर कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार करे और जुलाई के तीसरे हफ्ते तक जवाब दाखिल करे. अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि गैर टेलीकॉम PSU (सार्वजनिक उपक्रम) से 3.7 लाख करोड़ रुपये की मांग का आदेश वापस ले लिया गया है.

यह भी पढ़ें: आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर पहला कदम, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोयला एक्सपोर्टर बनने का दमखम

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने PSU से वसूली पर सरकार को लगाई थी फटकार 

बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने PSU से वसूली पर सरकार को फटकार लगाई थी. SG तुषार मेहता ने ये भी कहा कि टेलीकॉम कंपनियों से जो प्रस्ताव मिले है, उस पर विचार कर जवाब देने के लिए समय दिया जाना चाहिए.

भारती एयरटेल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि डीओटी के पास भारती एयरटेल के पास 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा है. लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क का उपयोग गारंटी के रूप में किया जा सकता है. वहीं वोडाफोन आइडिया की ओर से पैरवी करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी किसी भी तरह की अतिरिक्त बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है. जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि टेलीकॉम कोरोना वायरस महामारी के दौरान पैसा कमाने वाला एकमात्र सेक्टर है. टेलीकॉम कंपनियों को कुछ राशि जमा करनी चाहिए. सरकार को महामारी के दौरान इन पैसों की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: फिच रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक गतिविधियों को लेकर जताई चिंता, कही ये बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वोडाफोन-आइडिया से उसके राजस्व, मुनाफे आदि के बारे में सवाल करने पर कंपनी की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि अगर हमें कल भुगतान करने का आदेश दिया जाता है तो हमें कंपनी को बंद करना पड़ जाएगा. उस स्थिति में कंपनी के 11,000 कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के जाना होगा क्योंकि हम उन्हें भुगतान नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कोर्ट से किश्तों में भुगतान करने की अनुमति देने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हां या ना में एक बात बताएं. क्या आप 15,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर सकते हैं या नहीं? आपके पास आकस्मिक धन होना चाहिए.