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आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर पहला कदम, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोयला एक्सपोर्टर बनने का दमखम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा बयान

कोयला मंत्रालय (Ministry Of Coal) आज यानि गुरुवार (18 जून 2020) से वाणिज्यिक कोयला खनन (Commercial Coal Mining) के लिए 41 कोयला ब्लाक की नीलामी के लिए प्रक्रिया शुरू कर रहा है.

Updated on: 18 Jun 2020, 12:02 PM

नई दिल्ली:

कोयला मंत्रालय (Ministry Of Coal) आज यानि गुरुवार (18 जून 2020) से वाणिज्यिक कोयला खनन (Commercial Coal Mining) के लिए 41 कोयला ब्लाक की नीलामी के लिए प्रक्रिया शुरू कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के अनुरूप इस पहल का मकसद ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भरता हासिल करना और औद्योगिक विकास को गति देना है. प्रधानमंत्री नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए संबोधित कर रहे हैं.

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कोरोना वायरस ने भारत को आत्मनिर्भर होने का सबक दिया: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कॉमर्शियल कोयला खनन की लॉन्चिंग के मौके पर कहा कि भारत इंपोर्ट पर अपनी निर्भरता को कम करेगा. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने भारत को आत्मनिर्भर होने का सबक दिया है. भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना है. उन्होंने कहा कि कोल माइनिंग रिफॉर्म को जमीन पर लाना एक कमिटमेंट है. उन्होंने कहा कि भारत इंपोर्ट को कम करके लाखों करोड़ रुपये की बचत करेगा. उन्होंने कहा कि भारत हर आपदा को अवसर में बदलने को लेकर संकल्पित है. भारत कोरोना से लड़ेगा भी और आगे भी बढ़ेगा. आपदा कितनी ही बड़ी क्यों न हो, भारत उसे अवसर में बदलने के लिए कृत-संकल्पित है.

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ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए
उन्होंने कहा कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि बाजार के लिए कोयला क्षेत्रों को पूरी तरह से खोल दिया है और अब जिस सेक्टर को जितनी कोयले की जरूरत होगी वह अपने हिसाब से कोयला खरीद सकेगा. उन्होंने कहा कि महीने भर के भीतर ही, हर घोषणा, हर रिफॉर्म्स, चाहे वो कृषि क्षत्रे में हो, चाहे MSMEs सेक्टर में हो या फिर अब कोयला खनन के क्षेत्र में हो तेज़ी से ज़मीन पर उतर रहे हैं.

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद सबसे बड़ा कोयला इंपोर्टर है भारत
उन्होंने कहा कि जो देश कोयला रिजर्व के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश हो, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक हो, वो देश कोयला का एक्सपोर्ट नहीं करता बल्कि वो देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला इंपोर्टर है. उन्होंने कहा कि जब हम दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक में से एक हैं, तो हम सबसे बड़े एक्सपोर्टर क्यों नहीं हो सकते हैं. यही सवाल करोड़ों भारतीयों के मन में उठता रहा है. उन्होंने कहा कि देश के कोयला क्षेत्र को कैप्टिव और नॉन कैप्टिव के जाल में वर्षों से उलझाकर रखा गया था.

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उन्होंने कहा कि अब भारत ने कोल माइनिंग सेक्टर को कंपटीशन, कैपिटल, पार्टिसिपेशन और टेक्नोलॉजी के लिए पूरी तरह से खोलने का बहुत बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि एक मजबूत माइनिंग और मिनरल सेक्टर के बिना आत्मनिर्भरता (Self Reliance) संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि खनिज और खनन हमारी अर्थव्यवस्था के बहुत मजबूत पिलर हैं. उन्होंने कहा कोल माइनिंग में रिफॉर्म के बाद अब कोयला उत्पादन के अलावा पूरा का पूरा कोयला सेक्टर एक प्रकार से आत्मनिर्भर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में 16 ऐसे जिलें हैं जहां कोयले के बड़े-बड़े भंडार हैं, लेकिन इनका लाभ वहां के लोगों को उतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था.

अगले पांच से सात साल में करीब 33,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान

कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन कोयला ब्लाक की वाणज्यिक खनन में अगले पांच से सात साल में करीब 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. ये ब्लाक राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व देंगे. मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन क्षेत्र में नीलामी प्रक्रिया की शुरूआत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गयी घोषणाओं का हिस्सा है. बयान के अनुसार कि प्रधानमंत्री नीलामी प्रक्रिया शुरू किये जाने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे और और खनन क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने के अपने दृष्टिकोण को रखेंगे. खनन क्षेत्र बिजली, इस्पात, एल्युमीनियम, स्पांजी आयर जैसे कई बुनियादी उद्योगों के लिये कच्चे माल का मुख्य स्रोत है. इस मौके पर कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी भी मौजूद रहेंगे. बयान के अनुसार कोयेला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये कोयला मंत्रालय उद्योग मंडल फिक्की के साथ मिलकर 41 कोयला खदानें की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर रहा है. ये खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं.

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प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार
इसके आधार पर सरकार का कहना है कि ये खदान देश में 2025-26 तक अनुमानित कुल कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिश्त का योगदान देंगे. इससे सीधे एवं परोक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. इसमें सीधे तौर पर करीब 70,000 लोगों को रोजगाार मिलने की उम्मीद है. मंत्रालय ने कहा कि यह नीलामी प्रक्रिया कोयला क्षेत्र को वाणिज्यिक खनन के लिये खोलने की एक शुरूआत है. इससे देश ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्म निर्भर होगा और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी. कार्यक्रम को फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी, वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी संबोधित करेंगे. सरकार ने पिछले महीने राजस्व हिस्सेदारी आधार पर वाणिज्यिक खनन के तौर-तरीकों को मंजूरी दी थी. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया था. सीसीईए द्वारा मंजूर तौर-तरीके के अनुसार बोली मानदंड राजस्व हिस्सेदारी पर आधारित होगा.