Nature Photography Day 2020: लॉकडाउन में नेचर को कैनवास पर उकेरने का मिला मौका, कैमरे में कैद हुए खूबसूरत नजारे
प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का कौन दीवाना नहीं हो सकता. पहाड़ों की बर्फ से ढ़की सफेद चोटियां, नदियों का कल-कल करता शीतल पानी, हरियाली घास प्रकृति के रूप में भगवान द्वारा हमें अनमोल उपहार है
highlights
- 15 जून को नेचर फोटोग्राफी डे का आयोजन किया जाता है
- इस दिन प्रकृति को इंसान ने अपने कैमरे में उतारा
- लॉकडाउन में प्रकृति की गोद में बैठकर उसके सौंंदर्य को अपने कैमरे मेंं उतारा
नई दिल्ली:
प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का कौन दीवाना नहीं हो सकता. पहाड़ों की बर्फ से ढ़की सफेद चोटियां, नदियों का कल-कल करता शीतल पानी, हरियाली घास प्रकृति के रूप में भगवान द्वारा हमें अनमोल उपहार है. यही वजह है कि प्रकृति हमेशा मानव जीवन के केंद्र में रहती है. प्रकृति को किसी ने रंगों में उकेरने का प्रयास किया है तो किसी ने शब्दों में बांधने की कोशिश. इस प्रकृति को जब इंसान ने अपने कैमरे में उतारा तो नेचर फोटोग्राफी का अंकुर फूटा. क्योंकि 15 जून को नेचर फोटोग्राफी डे का आयोजन किया जाता है, इसलिए इस खास मौके पर हम आप आपको रूबरू कराएंगे कुछ प्रकृृतिप्रेमी फोटोग्राफरों से. इन अनुभवी और पार की नजर वाले फोटोग्राफरों ने लॉकडाउन के दिनों में प्रकृति की गोद में बैठकर उसके सौंंदर्य को अपने कैमरे मेंं उतार लिया.
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नेचर फोटोग्राफी का शोक
भारत पेट्रोलियम कंपनी में बतौर सीनियर मैनेजर काम करने वाले विवेक को नेचर फोटोग्राफी का शोक है. विवेक कहते हैं कि वह केवल अपने शोक के लिए फोटोग्राफी करते हैं. उन्होंने बताया कि वह अक्सर घने जंगलों की ओर बढ़ जाते हैं और प्रकृति की सुंदरता को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं. उनका मानना है कि प्रकृति को देखने की सबसे अलग-अलग निगाह होती है. इसलिए मैं अपनी निगाह से प्रकृति के जिस रूप में देखता हूं, उसकी रूप में फोटोग्राफी करता हूं.
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नेचर से उनका अटूट रिश्ता
कुछ ऐसा ही मानना मोबिलोग्राफर अंजलि मिश्रा का भी है. अंजलि कहती हैं कि मुझे प्रकृति से बहुत प्यार है यहां तक कि नेचर से उनका अटूट रिश्ता है. अंजलि अपना शोक पूरा करने के लिए प्रकृति की छटा को अपने मोबाइल में कैद कर लेती हैं. इसलिए उन्होंने बाकयादा मोबाइल फोटोग्राफी की वर्कशॉप भी अटेंड की. वो कहती हैं कि लॉकडाउन में उन्होने घर पर ही रहकर नेचर फोटोग्राफी का ध्यान पक्का रखा.
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नेचर प्राणी जगत का महत्तवपूर्ण हिस्सा
डॉ. तूलिका साहू एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स, एमिटी यूनिवर्सिटी में अस्सिटेंट प्रोफेसर हैं. तूलिका कहती हैं कि नेचर प्राणी जगत का महत्तवपूर्ण हिस्सा है. प्रकृति से भला कौन दूर रह सकता हैं.प्रकृति का सौंदर्य सबको अपनी ओर खींचता है. यही वजह है कि वह प्रकृति फोटोग्राफी की दीवानी हैं। अक्सर कैनवास पार उतार लेती हैं. उन्होंने बताया कि लॉकउाउन में उनको अपना शोक पर का भरपूर समय मिल गया. इस दौरान उन्होंने गमलों, फूलों आदि की पेंटंग बनाई.
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