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Hottest Day in the World: 3 जुलाई रहा दुनिया में अब तक का सबसे गर्म दिन, अंटार्कटिका में गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड

World Hottest Day: भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में तेजी से मौसम गर्म हो रहा है. उत्तरी भारत में जहां उमस भरी गर्मी से लोग परेशान हैं तो वहीं अटार्कटिका पर भी इस साल गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

Updated on: 05 Jul 2023, 08:52 AM

highlights

  • दुनियाभर में गर्मी ने तोड़े रिकॉर्ड
  • 3 जुलाई रहा दुनिया में अब तक का सबसे गर्म दिन
  • अंटार्कटिका में भी पड़ रही भीषण गर्मी

New Delhi:

World Hottest Day: उत्तर भारत में इनदिनों उमसभरी गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है. इस बीच अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंट प्रेडिक्शन की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है. जिसमें बताया गया है कि दुनिया में अब तक का सबसे गर्म दिन सोमवार यानी 3 जुलाई रहा है. रिपोर्ट में सोमवार को विश्व स्तर पर अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया है. यूएस सेंटर ने कहा है कि दुनिया भर में लू की वजह से वैश्विक औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस (62.62 फ़ारेनहाइट) तक पहुंच गया है, जो अगस्त 2016 के 16.92C (62.46F) के रिकॉर्ड को पार कर गया है.

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चीन, अफ्रीका और अमेरिका में भी पड़ रही भीषण गर्मी

भारत ही नहीं बल्कि गर्मी से दुनियाभर के देश झुलस रहे हैं. दक्षिणी अमेरिका भी पिछले कई सप्ताह से भीषण गर्मी से जूझ रहा है, जबकि चीन में तापमान 35C (95F) से ऊपर निकल गया है. इसके साथ ही यहां लू का प्रकोप भी देखा जा रहा है. उधर उत्तरी अफ्रीका में तापमान 50C (122F) के करीब पहुंच गया है. इसके अलावा अंटार्कटिका जहां हमेशा बर्फ जमी रहती है. वहां भी बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

अंटार्कटिका में इनदिनों सर्दी पड़ रही है लेकिन यहां असामान्य रूप से अब तक का सबसे उच्च तापमान रिकॉर्ड किया गया है. श्वेत महाद्वीप के अर्जेंटीना द्वीप समूह में यूक्रेन के वर्नाडस्की रिसर्च बेस ने हाल ही में 8.7 डिग्री सेल्सियस (47.6F) तापमान रिकॉर्ड किया गया है. जो जुलाई के महीने में अब तक का सर्वाधिक तापमान है.

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ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन में ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एनवायरमेंट के जलवायु वैज्ञानिक फ्रेडरिक ओटो का कहना है कि, "यह कोई मील का पत्थर नहीं है जिसका हमें जश्न मनाना चाहिए, यह लोगों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मौत की सजा है." उन्होंने कहा कि उभरते अल नीनो पैटर्न के साथ जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार है. बर्कले अर्थ के एक रिसर्च वैज्ञानिक जेके हॉसफादर ने कहा कि, "ये दुर्भाग्य है कि इस साल दर्ज किया गया रिकॉर्ड इस श्रृंखला का पहला दावा है, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के साथ-साथ बढ़ती एल नीनो घटना ने तापमान को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, जो आने वाले दिनों में और बढ़ेगा"