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शहबाज शरीफ( Photo Credit : news nation)
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शहबाज शरीफ( Photo Credit : news nation)
पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, इस पर सबकी निगाहें लगी हैं. क्योंकि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही शुरू हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के दखल पर फिर से बहाल की गई संसद में मतदान के बाद कुछ ही देर में फैसला होने की संभावना है. लेकिन सबसे अहम बात जो है वह यह है कि इमरान खान इमरान अपनी कुर्सी बचा नहीं पाएंगे. ऐसे में अगले प्रधानमंत्री के तौर पर शहबाज शरीफ का नाम सबसे ज्यादा उभरकर आ रहा है. इमरान खान के खिलाफ विद्रोह की अगुआई शहबाज ही कर रहे हैं. उन्होंने इमरान की तुलना हिटलर से करते हुए कहा कि हम उन्हें हमाम में नंगा करेंगे. ऐसे में शहबाद शरीफ के बारे में दुनिया भर में दिलचस्पी बढ़ गयी है.
शहबाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं और राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं. शहबाज को उनकी सीधी-सपाट कार्यशैली के लिए जाना जाता है. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के सबसे ज्यादा आबादी वाले पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सीएम रहने के दौरान शहबाज ने वहां कई बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों पर काम कराया था. इनमें लाहौर में देश का पहला मॉडर्न मास ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी शामिल था.
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शहबाज शरीफ के बारे में जो सबसे खास बात है वह यह है कि उनका पाकिस्तान की सेना से भी अच्छा संबंध है. कहा जाता है कि पाकिस्तान में वही सत्ता में रह सकता है, जिसके ऊपर आर्मी के जनरलों का हाथ हो. इस समय भी सेना शहबाज के पक्ष में नजर आ रही है. शहबाज शरीफ और उनके परिवार को भारत के प्रति भी ज्यादा सख्त नहीं माना जाता. 2015 में जब नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, तब पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक उनके घर लाहौर पहुंचकर सबको चौंका दिया था.
शहबाज शरीफ का जन्म लाहौर के एक अमीर उद्योगपति परिवार में 1951 में हुआ था. उन्होंने वहीं पर पढ़ाई-लिखाई की. उसके बाद परिवार का बिजनेस संभाला. वह पाकिस्तान में एक स्टील कंपनी के भी मालिक हैं. 80 के दशक में वह राजनीति में उतर आए. 1988 में उन्होंने पहला चुनाव लाहौर विधानसभा का जीता. 1990 में असेंबली भंग होने पर हुए चुनाव में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की. 1993 में उन्होंने लाहौर विधानसभा के साथ-साथ नैशनल असेंबली का चुनाव भी जीता लेकिन नैशनल असेंबली की सदस्यता छोड़ दी.
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शहबाज 1997 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने. 1999 में जब परवेज मुशर्रफ की अगुआई में सेना ने तख्तापलट किया था, तब शहबाज को भी जेल भेज दिया गया था. वर्ष 2000 में उन्हें सऊदी अरब निर्वासित कर दिया गया. 2007 में शहबाज और उनका परिवार फिर से पाकिस्तान लौटा.
लंबे निर्वासन से लौटने के बाद 2008 में शहबाज शरीफ फिर पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए. 2013 में हुए चुनावों में शहबाज शरीफ को तीसरी बार पंजाब प्रांत का सीएम चुना गया.
2017 में जब पनामा पेपर्स लीक कांड के बाद नवाज शरीफ को संपत्ति छिपाने का दोषी करार दिया गया था, तब शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग -नवाज के अध्यक्ष बने. इसी के साथ वह पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में उभरकर आए.
2018 के आम चुनावों में PML-N ने शहबाज शरीफ को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस चुनाव में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की जीत हुई. शहबाज शरीफ विपक्ष के नेता बने. तभी से वह विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में इमरान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
नवाज शरीफ के साथ-साथ शहबाज शरीफ के खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन किसी भी मामले में उन्हें दोषी साबित नहीं किया जा सका है. सितंबर 2020 में शहबाज को करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था लेकिन अप्रैल 2021 में उन्हें जमानत मिल गई.