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अपने ही घर में घिर रहे हैं इमरान खान, नाकारा पीएम की पदवी दे रहा विपक्ष

इमरान खान सरकार को विपक्षी दलों की गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जो देश को चलाने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं.

Updated on: 04 Jul 2020, 07:14 AM

highlights

  • इमरान खान को देश चलाने में अक्षम मान रहा है विपक्ष.
  • कश्मीर नीति और यूएनएससी में भारत के कद से दुखी.
  • इमरान खान की विदेश नीति पर उठाए तीखे सवाल.

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने संसद के अपने एक हालिया संबोधन में कहा था कि उनकी सरकार की विदेश नीति की एक सफल कहानी है. खान ने दावा किया था कि वैश्विक मंच पर कश्मीर (Kashmir) का मुद्दा जिस मजबूती से उठाया गया है, इससे पहले कभी भी नहीं उठाया गया. हालांकि, विपक्षी दलों ने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को कश्मीर पर कूटनीति में पूरी तरह विफल रहने और कश्मीर मुद्दे पर अफगानिस्तान के साथ समझौता करने को लेकर कड़ी आलोचना की है. इमरान खान सरकार को विपक्षी दलों की गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जो देश को चलाने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं.

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इमरान जी रहे कल्पनालोक में
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने मौजूदा विदेश नीति को सफलता की एक कहानी के रूप में पेश करने की कोशिश के लिए सरकार की भर्त्सना की. उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री इमरान खान को उनकी सरकार की विदेश नीति को एक सफलता के रूप में देखने के लिए आश्चर्यचकित हूं. कश्मीर मुद्दे पर पूरी तरह से समझौता किया गया है. कश्मीर पांच अगस्त, 2019 से हमारे हाथों से बाहर है और उनकी सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया है.

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पाकिस्तान के मित्र देश भी भारत के साथ आए
उन्होंने सवाल किया, भारत भारी वोटों के साथ यूएनएससी का अस्थायी सदस्य बन गया और हमारी सरकार की विदेश नीति सुन्न हो गई और मामले में पूरी तरह से अप्रासंगिक हो गई. मैं पूछता हूं कि जब यह तथाकथित सफल कूटनीति सक्रिय थी तो यह कैसे और क्यों हुआ? पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता ख्वाजा आसिफ ने कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करने में विफलता के लिए सरकार की आलोचना की.

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झूठ बोल रहे हैं इमरान खान
उन्होंने कहा, भारत ने आज कश्मीर पर कब्जा कर लिया है. यह हमारे हाथ से चला गया है और यह इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार की उपस्थिति में हुआ है. भारत बड़े पैमाने पर समर्थन के साथ यूएनएससी का अस्थायी सदस्य बन गया. वे देश, जिनके लिए हमारी सरकार ने दावा किया था कि वे भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे पर उसके सहयोगी देश हैं, उन्होंने भी भारत का स्पष्ट रूप से पक्ष लिया. प्रधानमंत्री यह दावा करने का साहस दिखा रहे हैं कि उनकी विदेश नीति सफल है. यह एक तमाचा है, एक विफलता है, एक शर्मिदगी है. पीपीपी की एक अन्य विपक्षी सदस्य शेरी रहमान ने भी सत्ताधारी दल को कश्मीर नीति पर पूरी तरह असफल रहने के लिए घेरा.