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चीन के खिलाफ खुला एक और फ्रंट, दोस्त ने लगाया आतंकवाद फैलाने का आरोप

हिंदुस्तान के पड़ोस में दो मुल्क हैं. एक है चीन और दूसरा है पाकिस्तान. चीन को अब तक लोग ज़मीन कब्जाने वाले मुल्क के नाम पर जानते थे और पाकिस्तान को आतंकियों का अड्डा करार दिया जा चुका है.

Updated on: 03 Jul 2020, 11:51 PM

नई दिल्ली:

हिंदुस्तान के पड़ोस में दो मुल्क हैं. एक है चीन और दूसरा है पाकिस्तान. चीन को अब तक लोग ज़मीन कब्जाने वाले मुल्क के नाम पर जानते थे और पाकिस्तान को आतंकियों का अड्डा करार दिया जा चुका है. लेकिन चीन को इन दिनों एक और तमगा मिलता जा रहा है और वो तमगा है आतंक के नये पनाहगाह का. चीन के करतूतों को लेकर दुनिया के मंच पर शोर मचा है.

दुनिया के नक्शे पर हिंदुस्तान के आसपास दो देश हैं. एक पाकिस्तान जो दुनिया को आतंक सप्लाई करता था. दूसरा चीन जो दुनिया भर में ज़मीनें हड़पता था.
लेकिन दुनिया के सबसे बड़े फरेबी मुल्क के राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी जनरलों और सेलेक्टेड पीएम से हाथ क्या मिला लिया पाकिस्तान की आतंकी चाल चीन की धमनियों में भी दौड़ने लगी.

दुनिया जानती है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में मिलता है, मसूद अजहर पाकिस्तान में रहता है, हाफिज़ सईद पाकिस्तान में है. दस पंद्रह आतंकी संगठन पाकिस्तान में ही फलते फूलते हैं. यहां तक कि लंदन तक आतंकी हमले होते थे तो सप्लायर पाकिस्तानी निकलता था.

चीन पर आतंकवाद फैलाने का आरोप किसी चीन विरोधी देश ने नहीं बल्कि उस दोस्त की जुबानी लगे हैं जिन्हें चीन जबरन अपना दोस्त करार देने की कोशिश करता रहा है.

म्यांमार में आतंक फैला रहा चीन

म्यांमार के जनरल का चीन पर ये सीधा आरोप दुनिया को हैरान करने के लिए काफी था कि चीन ने म्यांमार में आतंकियों को बढ़ावा देने का काम बंद नहीं किया है. म्यांमार के जनरल मिन आंग हलैंग ने कहा है कि उनके देश में आतंकी संगठन फल फूल रहे हैं और उसके पीछे मजबूत देश यानी चीन का हाथ है.

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सी टीवी चैनल ज़्वेज़्दा को दिये गए इंटरव्यू में म्यांमार के जनरल के इस सीधे बयान ने चीन के चेहरे के पीछे पुती कालिख को उजागर कर दिया. क्योंकि म्यांमार ने न सिर्फ चीन पर आतंकवाद को समर्थन देने का सच दुनिया को बताया था बल्कि पूरी दुनिया से ये गुहार भी लगा दी थी कि चीन की ओर से पनपाये जा रहे आतंकी संगठनों पर किसी तरह लगाम लगाया जाए.

म्यांमार की ओर से आए इस बयान का सीधा मतलब ये था कि जिस चीन के साथ म्यांमार के इतने अच्छे रिश्ते बताये जाते हैं और वो मुल्क अगर किसी तीसरे देश में जाकर चीन के पापों का खुलासा कर रहा है तो समझा जा सकता है कि चीन के साथ दोस्ती करके म्यांमार कितना पछता रहा है.

दुनिया में म्यांमार कर रहा विरोध

म्यांमार की ओर से चीन की हरकतों की शिकायत तो घरेलू मोर्चे पर कई बार की जाती रही है लेकिन अब म्यांमार खुलकर दुनिया के मंचों पर चीन की शिकायत करने लगा है. म्यांमार के इन आरोपों पर चीन की ओर से कोई सफाई तो नहीं आई है लेकिन ये अनुमान ज़रूर लगाया जा रहा है कि लद्दाख में चीन की हरकतों को देखते हुए म्यांमार ने भी पूरी दुनिया के सामने अपनी समस्या पेश की है. ये समस्या मामूली नहीं है क्योंकि ये चीन पर आतंकियों को पालने पोसने का सीधा और बेहद संगीन आरोप है.

म्यांमार में आतंकियों के पास खतरनाक हथियार

नवंबर 2019 में म्यांमार में आतंकियों पर छापे में चीनी हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ था. इसमें जमीन से आसमान में मार करने वाली मिसाइलें तक थीं. एक-एक मिसाइल की कीमत 70 से 90 हज़ार अमेरिकी डॉलर बताई गई थी. ये हथियार तआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी के पास थे जो चीन से आए थे. जबकि म्यांमार के डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि अराकान आर्मी की 95 फीसदी तक की फंडिंग चीन से ही आती है. इतना ही नहीं चीन ने अराकान आर्मी को करीब 50 मैनपैड्स यानी ज़मीन से आसमान में मार करने वाली पोर्टेबल मिसाइलें तक दे रखी हैं.

म्यांमार के आतंकियों तक इतने भयानक और खतरनाक हथियारों की सप्लाई को लेकर तब म्यांमार ने जिनपिंग से शिकायत भी दर्ज कराई थी लेकिन जिनपिंग ने कुछ तो शिकायत सुनी नहीं और कुछ ये कहकर टाल दिया कि लोगों के पास चीनी हथियार पहुंचने के कोई दूसरे तरीके भी हो सकते हैं.

कैसे आतंकियों तक पहुंचे चीनी हथियार

चीन ने म्यांमार के आरोपों को भले नज़रअंदाज कर दिया हो लेकिन हक़ीक़त ये बताई जाती है कि चीन बांग्लादेश के चिटगांव रूट के जरिये भी म्यांमार तक हथियारों की खेप पहुंचाता रहा है. रिपोर्ट्स तो ये भी आई हैं कि करीब 500 असॉल्ट राइफल्स, 30 मशीनगन्स, सैकड़ों ग्रेनेड्स और करीब 70 हज़ार गोलियों की एक खेप समंदर के रास्ते भी चीन ने म्यांमार के आतंकियों तक पहुंचाई थी. इसी खेप के साथ चीन में बनी एफएन-6 मैनपैड्स भी आतंकियों तक पहुंची थी. और इन हथियारों का म्यांमार के आतंकी क्या करते हैं ये पिछले साल भी दिखा था जब आतंकियों ने चार पुलिस थानों पर अचानक हमला करके बीस पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.

म्यांमार के खुलासे का असर

चीन को लेकर म्यांमार के बेहद संगीन आरोपों का साफ असर ये है कि भारत के पड़ोस में चीन जिस धूर्तता के साथ अपनी साज़िशें रचा करता था. उसका भ्रमजाल अब टूटता दिखाई दे रहा है. चीन पर खुलकर आरोप लगाने वाले म्यांमार पर एक तरह से चीनी कब्जा हो चुका था क्योंकि चीन ने अपनी नापाक साज़िशों के दम पर म्यांमार को भी बेल्ट रोड इनिशियेटिव के जाल में फंसा रखा है.

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भारत के लिए अच्छा मौका!

चीन आतंकवाद का नया जनक बनकर सामने आ रहा है. भारत के लिए ये बड़ा कूटनीतिक अवसर हो सकता है क्योंकि अगर चीन से म्यांमार का मोह भंग होने लगा है तो इसका फायदा भारत को ही होना है. चीन ने म्यांमार को अपने बेल्ट रोड इनिशियेटिव के झांसे में ऐसा फंसाया है कि बाक़ी के गरीब देशों की तरह म्यांमार पर भी चीनी जबरदस्ती चालू हो चुकी है. और अगर समय रहते म्यांमार चीन के चंगुल से नहीं निकला तो म्यांमार नया हांगकांग बन सकता है.

चीनी जाल में फंस मत जाना!

म्यांमार के ऑडिटर जनरल माव थान का कहना है कि ऐसा ही चलता रहा तो म्यांमार भी श्रीलंका और अफ्रीकी देशों की तरह कर्ज के जाल में फंसता जाएगा. हक़ीक़त तो ये है कि चीन वर्ल्ड बैंक या आईएमएफ जैसी दूसरी संस्थाओं के मुकाबले महंगा कर्ज देता है इसलिए मैं सरकार को चेतावनी देता हूं कि चीनी कर्जों के इस्तेमाल से परहेज करें.