कनाडा में बैठकर भारत के खिलाफ हो रही साजिश, वेबसाइट से हुआ खुलासा

कृषि कानूनों के खिलाफ दुनियाभर में माहौल बनाने के लिए कनाडा के एक एनजीओ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) का नाम भी सामने आया है.

कृषि कानूनों के खिलाफ दुनियाभर में माहौल बनाने के लिए कनाडा के एक एनजीओ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) का नाम भी सामने आया है.

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Dhirendra Kumar
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askindiawhy ( Photo Credit : newsnation)

भारत में कृषि कानूनों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे कुछ साक्ष्य सामने आए हैं जिसके तहत इस बात का खुलासा हुआ है कि किसान आंदोलन को लेकर दुनियाभर के सेलिब्रिटीज की ओर आ रहे ट्वीट एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग (Greta Thunberg) ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने गूगल डॉक्यूमेंट्स के कुछ पेज शेयर किया थे. 

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आपको बता दें कि इस ट्वीट किए गए डॉक्यूमेंट्स में भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कैसे विरोध करना है. या एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि किस तरह से वैश्विक स्तर भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया जाए. उनके इस ट्वीट के बाद ही लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हों गईं और देखते ही देखते वो सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगीं. विवाद बढ़ता देख ग्रेटा थुनबर्ग ने ये ट्वीट्स डिलीट कर दिए थे. बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग ने दो एक्शन प्लान को लेकर ट्वीट किए थे. एक एक्शन प्लान में 26 जनवरी तक के एक्शन प्लान का भी जिक्र किया गया है. 

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पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन किसानों से जुड़े खबरों और लेख की भरमार
वहीं भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ दुनियाभर में माहौल बनाने के लिए कनाडा के एक एनजीओ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) का नाम भी सामने आया है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का एक डॉक्यूमेंट भी सामने आया है. फाउंडेशन की वेबसाइट के ऊपर किसानों से जुड़े खबरों और लेखों की भरमार है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि भारत सरकार ने सितंबर 2020 में एक विधेयक पारित किया, जो देश में किसानों की आजीविका के लिए हानिकारक होगा. कृषि एक ऐसा उद्योग जो भारत के लगभग 50 फीसदी लोगों को रोजगार मुहैया कराता है.

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इस भड़काउ लेख में लिखा गया है कि लोगों को पुलिस की क्रूरता, सेंसरशिप और राज्य प्रायोजित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. लेख में लिखा है कि भारत के संविधान को लंबे समय से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के उदाहरण के रूप में मनाया जाता रहा है, लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर पूरी दुनिया ने एक कथित लोकतांत्रिक सरकार को अपने ही लोगों मारते हुए देखा गया है. लेख में आगे लिखा है कि भारत तेजी से एक फासीवादी, हिंसक दमनकारी शासन की ओर बढ़ रहा है.

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