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चीन की कुटिल चाल नाकाम, अमेरिका-जर्मनी ने भारत से दोस्ती का वादा निभाया

कराची स्टॉक एक्सचेंज (Karachi Attack) में हुए आतंकी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन को भारत के दो मित्र देशों अमेरिका (US) और जर्मनी (Germany) ने करारा झटका दिया.

Updated on: 02 Jul 2020, 07:19 AM

highlights

  • संय़ुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को लगा बहुत तगड़ा झटका.
  • पाक समर्थित बयान पर ऐन मौके-अमेरिका-जर्मनी ने जताई आपत्ति.
  • चीन पाकिस्तान से दोस्ती दिखाने के लिए भारत को रहा था घेर.

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में भारत-चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की कूटनीति और वैश्विक मंचों पर धमक का असर चीन (China) की घेरेबंदी के रूप में साफ-साफ दिखने लगा है. कराची स्टॉक एक्सचेंज (Karachi Attack) में हुए आतंकी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन को भारत के दो मित्र देशों अमेरिका (US) और जर्मनी (Germany) ने करारा झटका दिया. दोनों ही देशों ने चीन के एक प्रस्ताव पर अंतिम क्षणों में रोक लगाकर इरादे जता दिए हैं कि पाकिस्तान-चीन की 'नापाक जुगलबंदी' के खिलाफ और भारत का साथ देने के लिए दुनिया की बड़ी ताकतें एकजुट हो रही हैं.

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यूएन के नियमों का इस्तेमाल
इस लिहाज से देखें तो अमेरिका और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियम-कायदों का ही इस्तेमाल कर चीन की भारत को घेरने की कुटिल चाल को नाकाम कर दिया. आपको याद ही होगा कि पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कराची स्टॉक एक्सजेंच में हुए आतंकी हमले का जिम्मेदार भारत को बताते हुए वैश्विक मंच से गुहार लगाई थी. इसी पक्ष को समर्थन करते हुए चीन ने एक निंदा प्रस्ताव पेश किया था, जिसे अमेरिका और जर्मनी ने भोथरा कर दिया.

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साइलेंस प्रोसीजर के तहत चीन ने पेश किया वक्तव्य
सुरक्षा परिषद के नियमों के तहत कोई भी देश किसी भी आतंकी हमले की निंदा करता वक्तव्य पेश कर सकता है. अगर उस वक्तव्य पर कोई सदस्य देश आपत्ति नहीं जताता है, तो उसे पारित मान लिया जाता है. ऐसे में चीन ने 'साइलेंस' प्रोसीजर के तहत सोमवार को कराची स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत के खिलाफ अपनी चाल चली थी. यह वक्तव्य ऐसे आतंकी हमलों की निंदा करने के लिए सामान्य प्रक्रिया थी, जो सुरक्षा परिषद समय-समय पर जारी करता रहता है. साइलेंस प्रोसीजर के तहत, अगर तय समय सीमा तक किसी को ऐसे प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं होती तो इसे पास माना जाता है.

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जर्मनी औऱ अमेरिका ने ऐन मौके जताई आपत्ति
जर्मनी ने मंगलवार शाम को 4 बजे के करीब इसमें दखल दिया. यूएन में जर्मनी के राजदूत ने कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री एसएम कुरैशी इस हमले के लिए भारत को जिम्मेदार बताया है, जो स्वीकार नहीं किया जा सकता. इस पर चीनी राजदूत ने जोरदार विरोध करते हुए कहा कि घड़ी तय समय 4 बजे से आगे निकल गई है, लेकिन इस प्रस्ताव पर डेडलाइन को 1 जुलाई बुधवार सुबह 10 बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया. बताते हैं कि 10 बजे से ऐन पहले अमेरिका ने भी अंतिम क्षणों में अपनी आपत्ति जता दी. इसका अर्थ यह हुआ कि अब भले यह वक्तव्य जारी भी हो जाए, लेकिन चीन-पाकिस्तान जुगलबंदी को सुरक्षा परिषद में पीछे धकेलने का अर्थ बड़े स्तर पर इन दोनों देशों के खिलाफ वैश्विक नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है.

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भारत पर लगाया था आरोप पाकिस्तान ने
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कराची स्टॉक एक्सचेंज में हुए इस हमले का आरोप भारत पर लगाया था. ऐसे में अपने 'सदाबहार दोस्त' की मदद के लिए चीन ने अपने मजबूत संबंधों को दर्शाने के मकसद से यह ड्राफ्ट तैयार किया था. चीन ने यह प्रेस नोट मंगलवार को पेश किया था और यूएनएससी के नियमों के अनुसार, न्यूयॉर्क के स्थानीय समयानुसार अगर कोई भी सदस्य शाम 4 बजे तक इस पर आपत्ति नहीं जताता है, तो पास करार समझा जाता है.
ऐसे में उसके इस प्रस्ताव पर दो अलग-अलग देशों द्वारा आपत्ति जताने से उसके झटका लगा है. दोनों देशों का यह कदम भारत के साथ उनके मजबूत रिश्तों की ओर एक इशारा है.