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Afghanistan Crisis: दोहा में भारत और तालिबानी नेता के बीच बैठक, जानें क्या हुई बात

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां जारी संकट के बीच कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई से मुलाकात की

Updated on: 31 Aug 2021, 06:10 PM

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां जारी संकट के बीच कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई  से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत और तालिबानी नेताओं के बीच यह बैठक अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, सुरक्षा और शीघ्र वापसी पर चर्चा पर केंद्रित रही. बताया गया कि यह बैठक तालिबान के अनुरोध पर रखी गई थी. आपको बता दें कि अफगानिस्तान में इस समय काफी उथल पुथल का माहौल है. सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद वहां अराजकता का माहौल है, जिसकी वजह से हमारी सरकार वहां रहे भारतीय ​नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. हालांकि इस दौरान भारत सरकार ने काबुल में फंसे लोगों को निकालने के लिए शुरू किए गए अभियान को भी तेज कर दिया है.

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विदेश मंत्रालय ने बताया गया कि राजदूत दीपक मित्तल ने भारत की ओर से चिंता जताई कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, इस दौरान तालिबान प्रतिनिधि ने राजदूत को आश्वासन दिया कि इन मुद्दों को सकारात्मक रूप से संबोधित किया जाएगा.  1963 में लोगर प्रांत के बाराकी बराक जिले में जन्मा शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई जातीय रूप से एक पश्तून है. उन्होंने 1982 में भारतीय सैन्य अकादमी में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया, तालिबान शासन के दौरान उप स्वास्थ्य मंत्री के पद तक पहुंचा और बाद में मुल्ला हकीम से पहले दोहा में मुख्य शांति वार्ताकार के रूप में कार्य किया. वह पांच भाषाएं बोल सकता है और 2015-2019 के बीच तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख के रूप में कार्य किया था. उसे 'शेरू' के नाम से भी जाना जाता है.

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दुनिया ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, जिनमें से कई ने कोई राजनयिक संबंधों की घोषणा नहीं की है, कुछ जल्दबाजी में अफगान में अपने मिशन को बंद कर रहे हैं और पंजशीर घाटी में पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और महान अफगान विद्रोही कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद द्वारा शुरू किए गए तालिबान विरोधी प्रतिरोध का समर्थन करने की कसम खा रहे हैं.