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चीन ने पहले दुनिया को कोरोना संक्रमण दिया, अब दवा देने का वादा कर रहा

चीन का दावा है कि यह दवा कोरोना संक्रमण को रोक सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि वैक्सीन की ही खोज की जाए.

Updated on: 20 May 2020, 12:09 PM

highlights

  • अब बीजिंग में कोरोना की दवा पर चल रहा है काम.
  • दावा है कि दवा से मरीज के ठीक होने में लगा कम समय.
  • साथ ही शरीर में कोरोना से लड़ने की ताकत भी बढ़ी.

बीजिंग:

हिंदी फिल्म के लोकप्रिय गाने 'तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना' की तर्ज पर चीन अपनी वुहान स्थित प्रयोगशाला (Lab) से दुनिया भर को कोरोना संक्रमण देने के बाद अब अपनी ही एक प्रयोगशाला में कोरोना वायरस (Corona Virus) की दवा पर काम कर रहा है. चीन का दावा है कि यह दवा कोरोना संक्रमण को रोक सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि वैक्सीन की ही खोज की जाए. हालांकि कोरोना की रोकथाम की प्रभावी दवा खोजने के लिए भारत समेत कई देशों में काम चल रहा है. इस कड़ी में चीन का दावा है कि ट्रायल पर चल रही दवा से न सिर्फ कोविड-19 संक्रमित लोगों के ठीक होने के समय में कमी आई, बल्कि इस दवा ने लोगों को कुछ समय के लिए कोरोना वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा किया.

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वैक्सीन बगैर दवा से खत्म होगा कोरोना
कोरोना संक्रमण को बगैर वैक्सीन सिर्फ दवा की मदद से खत्म करने का काम बीजिंग विश्वविद्यालय में चल रहा है. यूनिवर्सिटी के एडवांस्ड इनोवेशन सेंटर फॉर जीनोमिक्स के निदेशक सुनीनी झी ने एएफपी को बताया कि ट्रायल फेज में दवा पशुओं पर सफल रही है. झी ने बताया कि 'जब हमने संक्रमित चूहों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज को इंजेक्ट किया, तो पांच दिनों के बाद वायरल लोड 2,500 के कारक से कम हो गया.' इसका मतलब है कि इस संभावित दवा का चिकित्सीय प्रभाव है.' दवा वायरस को संक्रमित करने वाली कोशिकाओं को रोकने के लिए मानव प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एंटीबॉडीज को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी का उपयोग करती है. साइंटिस्ट जर्नल सेल में रविवार को प्रकाशित टीम के शोध पर एक अध्ययन में बताया गया है कि कि एंटीबॉडी का उपयोग करने से बीमारी का संभावित 'इलाज' होता है और ठीक होने का समय कम हो जाता है.

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क्लिनिकल ट्रायल पर शुरू होगा काम
झी ने कहा कि उनकी टीम एंटीबॉडी के लिए 'दिन और रात' काम कर रही थी. कहा कि 'हमारी विशेषज्ञता इम्यूनिटी साइंट या वायरस साइंस के बजाय सिंगल सेल जीनोमिक्स है. जब हमने महसूस किया कि सिंगल सेल जीनोमिक प्रभावी हो सकता है तो हम रोमांच से भर उठे.' उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दवा इस साल के अंत में और किसी भी ठंड के मौसम में वायरस के संभावित प्रकोप का सामना करने के लिए तैयार हो जाएगी. झी ने कहा 'ट्रायल के लिए क्लिनिकल टेस्टिंग की योजना चल रही है. इसे ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में किया जाएगा क्योंकि चीन में मामले कम हो गए हैं.' गौरतलब है कि चीन में पहले से ही ह्यूमन ट्रायल में पांच संभावित कोरोना वायरस टीकों पर काम चल रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही चेता चुका है कि एक टीका विकसित करने में 12 से 18 महीने का समय लग सकता है.