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अफगानिस्तान से लौटे 150 और भारतीय, रेस्क्यू के लिये तैयार है अगला विमान

रेस्क्यू मिशन के जरिये ये भारतीय कतर की राजधानी दोहा पहुचे और फिर वे दोहा से भारत लौटे जिसका खर्च भी उन्ही देशो ने उठाया जिनसे वे जुड़े थे

Updated on: 19 Aug 2021, 08:09 PM

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान में फँसे भारतीयों की स्वदेश वापसी जारी है. गुरुवार को ऐसे 150 लोगों को भारत लाया गया. लेकिन ये लोग किसी रेस्क्यू ऑपेरशन के तहत नहीं लाये गये बल्कि इन्हें इनके एम्प्लॉयर द्वारा स्वदेश वापस भेजा गया. दरअसल अफगानिस्तान में भारी संख्या में ऐसे भी भारतीय  कार्यरत थे जो विभिन्न देशों के प्रोजेक्ट और दूतावासों में कार्यरत थे. तालिबानी शासन स्थापित होने के बाद बन्द होते प्रोजेक्ट और दूतावासों से भारत ही नही बल्कि दुनिया के अधिकांश देश रेस्क्यू मिशन चला रहे हैं , अपने लोगों को निकाल रहे है और साथ ही अपने कर्मचारियों को भी.

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इन्ही रेस्क्यू मिशन के जरिये ये भारतीय कतर की राजधानी दोहा पहुचे और फिर वे दोहा से भारत लौटे जिसका खर्च भी उन्ही देशो ने उठाया जिनसे वे जुड़े थे. जानकारी के मुताबिक़ काबुल में अभी भी लगभग 500 से 600 भारतीय फँसे हुये है जिन्हें निकालने के लिये भारतीय एजेंसियां यूएस के संपर्क में है. इन लोगों को निकालने के लिये भारत स्पेशल विमान  तैयार रखा है. जैसे ही यूएस फोर्सेज की तरफ से हरी झंडी मिलेगी स्पेशल विमान काबुल एयरपोर्ट पर लैंड करेगा और फिर इन भारतीयों की वतन वापसी होगी.

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सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर अफगानिस्तान में फंसे भारतीय कामगारों को बचाने का फैसला किया है और उनसे जल्द से जल्द संपर्क करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. ये भारतीय कामगार अफगानिस्तान में विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं और 15 अगस्त, 2021 को तालिबान द्वारा देश पर पूर्ण नियंत्रण करने के बाद उत्सुकता से भारत लौटने का इंतजार कर रहे हैं. सूत्रों ने आगे कहा कि जलालाबाद और खोस्त जैसे कुछ स्थानों पर तालिबान मिलिशिया और अफगान सेना के बीच झड़पों की खबरों के बीच, भारतीय अधिकारियों के लिए भारतीय श्रमिकों से संपर्क करना और उन्हें सुरक्षित रूप से काबुल वापस लाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय अधिकारी उन लोगों के लिए आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे अन्य सरकारी दस्तावेजों का इंतजाम करने पर भी विचार कर रहे हैं, जिनके पासपोर्ट स्थानीय नियोक्ताओं द्वारा छीन लिए गए थे, जो तालिबान के डर से शहरों से भाग गए थे.