Donald Trump: भारत और कनाडा के रिश्तों पिछले कुछ महीनों से बेहद खराब हो गए हैं. यही नहीं कनाडा ने अमेरिका से भी पंगा ले रखा रहा है. इस बीच अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि देश को संयुक्त राज्य अमेरिका का 51वां राज्य बनने पर विचार करना चाहिए.
कनाडा को लेकर क्या बोले ट्रंप
दरअसल, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, 'इस तरह के कदम से कनाडाई लोगों को कम करों (Tax) और सैन्य सुरक्षा के माध्यम से लाभ होगा. ट्रंप ने इस विचार को "महान" बताते हुए कहा कि कई कनाडाई इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "कोई भी इसका जवाब नहीं दे सकता कि हम कनाडा को प्रति वर्ष 10 करोड़ डॉलर से अधिक की सब्सिडी क्यों देते हैं? इसका कोई मतलब नहीं है!"
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उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा गया, "कई कनाडाई चाहते हैं कि कनाडा 51वां राज्य बने. वे करों और सैन्य सुरक्षा पर बड़े पैमाने पर बचत करेंगे. मुझे लगता है कि यह एक अच्छा विचार है. 51वां राज्य!!!"
बता दें कि एक दिन पहले ट्रंप ने कनाडा के वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद कनाडा की सत्तारूढ़ पार्टी में पैदा हुए संकट पर कटाक्ष किया था. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को कनाडा का गवर्नर करार दिया और कहा कि फ्रीलैंड का व्यवहार कनाडाई नागरिकों के लिए अच्छे निर्णय लेने के लिए अनुकूल नहीं था.
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वित्त मंत्री के इस्तीफे पर भी कसा था तंज
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर एक पोस्ट में, ट्रम्प ने लिखा, "कनाडा का महान राज्य स्तब्ध है क्योंकि वित्त मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है, या गवर्नर जस्टिन ट्रूडो द्वारा उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है. उनका व्यवहार पूरी तरह से विषाक्त था, और बिल्कुल भी अनुकूल नहीं था. ऐसे सौदे करना जो कनाडा के बहुत नाखुश नागरिकों के लिए अच्छे हों, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा!!!"
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बता दें कि इस महीने की शुरुआत में ट्रम्प ने अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करने और डी-डॉलरीकरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से अपनी आर्थिक नीतियों के हिस्से के रूप में भारी शुल्क लगाने की धमकी दी थी. प्रस्तावित उपायों में चीन से आयात पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ और कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ शामिल हैं. ऐसी नीतियां व्यापार प्रवाह को बाधित कर सकती हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए इन बाजारों में हिस्सेदारी हासिल करने के रास्ते खुल जाएंगे.