रिपोर्ट में खुलासा: हत्या, अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन, ऐसे हाल में हैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यक छात्र

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जा रहा है. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. यहां पर​ हिन्दू और ईसाई बच्चों पर अत्याचार हो रहा है. उन्हें मजबूर किया जा रहा है.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जा रहा है. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. यहां पर​ हिन्दू और ईसाई बच्चों पर अत्याचार हो रहा है. उन्हें मजबूर किया जा रहा है.

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Mohit Saxena
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pakistan Photograph: (social media)

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव हो रहा है. यहां पर हि्ंदू और ईसाई बच्चों पर धर्म परिवर्तन को लेकर दबाव बनाया जा रहा है. इसके साथ अल्पसंख्यक बच्चों को जीवन के हर स्तर पर भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान के बाल अधिकार राष्ट्रीय आयोग (एनसीआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के साथ सुनियोजित तरीके से अत्याचार किया जा रहा है ताकि दबाव में आकर वह अपना धर्म परिवर्तन कर लें. इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग हो रही है. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक बच्चों के सामने बंधुआ बाल मजदूरी, बाल विवाह और जबरन धर्म परिवर्तन जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं. हजारों हिंदू और ​ईसाई बच्चों को हर दिन इस तरह के शोषण से गुजरना पड़ रहा है. इसे मानवाधिकारों का संकट की तरह देखा जा रहा है.   

पंजाब में बदतर होते हालात 

अप्रैल 2023 से दिसंबर 2024 के बीच एनसीआरसी में अल्पसंख्यक बच्चों से जुड़े  हत्या, अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और बाल विवाह की 27 आधिकारिक शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. ये आंकड़े काफी भयावह हैं. ऐसी घटना होने पर कई परिवार डर की वजह से चुप्पी साधे रहते हैं. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बदतर हालात पंजाब में है, यहां पर अल्पसंख्यक बच्चों के साथ हिंसा के 40 प्रतिशत मामले सामने आए हैं. आंकड़ों की बात की जाए तो जनवरी 2022 से सितंबर 2024 तक करीब 547 ईसाई, 32 हिंदू, दो अहमदी और दो सिखों के साथ वातदातें सामने आईं. स्कूलों में डर का माहौल है. अल्पसंख्यक बच्चों को स्कूलों में सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के तहत सहपाठियों के साथ शिक्षक भी उनके साथ अत्याचार कर रहे हैं. 

धर्म के आधार पर तंज कसा जा रहा

बच्चों की शिकायत है कि धर्म के आधार पर उन पर तंज कसा जा रहा है. बच्चों को स्कूलों में अलग बैठाया जाता है. इन्हें शिक्षक पढ़ाने में भी रुचि नहीं दिखाते हैं. इन्हें पीछे बैठाया जाता है. एनसीआरबी अध्यक्ष आयशा रजा फारूक के अनुसार, इस रिपोर्ट से उम्मीद लगाना बेमानी है कि सरकार अल्पसंख्यकों के बचाव के लिए कुछ करेगी. 

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