चीन पर लगाया भारी टैरिफ तो अमेरिका में मचेगी तबाही, ट्रंप चाहकर भी नहीं कर पाएंगे ऐसा

प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया, लेकिन चीन को कुछ नहीं कहा, जो रूस से लगातार तेल खरीद रहा है...राष्ट्रपति ट्रंप चीन को अपनी दादागिरी क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं?

प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया, लेकिन चीन को कुछ नहीं कहा, जो रूस से लगातार तेल खरीद रहा है...राष्ट्रपति ट्रंप चीन को अपनी दादागिरी क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं?

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Ravi Prashant
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प्रेसिडेंट ट्रंप और शी जिनपिंग Photograph: (sm)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया है. प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से लगातार ऑयल खरीद रहा है. यहां ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस से तेल खरीदने के बाद तेल बेचकर मुनाफा कमाता है. इस बीच एक सवाल उठा कि जब चीन रूस से कहीं ज्यादा तेल खरीदता है, तो ट्रंप चीन को क्यों नहीं आंखें दिखा रहे हैं? तो चलिए इस खबर में ये समझने कोशिश करेंगे कि आखिर ट्रंप की क्या मजबूरी है? 

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अमेरिका की चीन पर भारी डिपेंडेंसी

साल 2024 में अमेरिका ने 10.4 मिलियन किलो रेयर अर्थ मिनरल्स आयात किए, जिनमें से 77% चीन से आए. यानी अमेरिका की 70% से ज्यादा जरूरत चीन पूरा करता है. यही नहीं, जून 2025 में अमेरिका ने चीन को 9.44 अरब डॉलर का सामान बेचा, लेकिन वहां से 18.94 अरब डॉलर का माल खरीदा. सिर्फ 6 महीनों में अमेरिका का चीन के साथ ट्रेड घाटा 111 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया.

अगर आप अमेरिका के किसी भी दुकान में जाइए और प्रोडक्ट पलटकर देखिए तो 10 में से 7 सामानों पर “Made in China” लिखा मिलेगा. वहीं, Amazon पर तो हालात खराब है, लगभग 50% से ज्यादा सेलर्स चीन से हैं. 

क्यों जरूरी हैं रेयर अर्थ मिनरल्स?

अब यहां हमें यह समझना होगा कि अमेरिका जो चीन से सबसे अधिक रेयर अर्थ मिनरल्स खरीद रहा है, उसे इसकी क्या जरूरत है? मोबाइल फोन, मिसाइल, हथियार, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, सैटेलाइट, विंड टरबाइन, बैटरियां और चिप्स. इन सभी चीजों को बनाने में रेयर अर्थ की जरूरत होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन इस सेक्टर में दुनिया में सबसे बड़ा खिलाड़ी है और अमेरिका के पास फिलहाल इसका विकल्प नहीं है.

अब सवाल उठता है कि अगर ट्रंप चीन पर बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाते हैं, तो इन सभी प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ जाएंगी. महंगे सामान का मतलब है कम बिक्री, कंपनियों का घाटा, और टेक्नोलॉजी व डिफेंस सेक्टर में बड़ा झटका. साथ ही रिटेल मार्केट में मंदी दिखने लगेंगी. इसका असर ऐसा होगा कि अमेरिका में बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाएगी. 

चीन से छुटकारा क्यों मुश्किल है

अमेरिका चाहे भी तो चीन पर तुरंत सख्त आर्थिक कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि सप्लाई चेन और मैन्युफैक्चरिंग डिपेंडेंसी बेहद गहरी है. रेयर अर्थ जैसे अहम सेक्टर में चीन की लगभग मोनोपॉली है, और वैकल्पिक सप्लायर खोजने में सालों लग सकते हैं.

यही वजह है कि ट्रंप भारत पर दबाव बना सकते हैं, लेकिन चीन पर सीधी चोट नहीं कर सकते. क्योंकि अगर उन्होंने चीन से आयात पर झटका दिया तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था में हलचल मच जाएगी, महंगाई बढ़ेगी और रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर हाई-टेक हथियारों तक, सब पर असर पड़ेगा.

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