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Photograph: (X)
ब्राजील के रियो डी जनेरियो में मंगलवार (28 अक्टूबर) सुबह पुलिस ने ड्रग संगठन रेड कमांड के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाया. करीब 2500 पुलिसकर्मियों ने हेलीकॉप्टर सपोर्ट के साथ एक साथ कई इलाकों में छापे मारे. इस हिंसक कार्रवाई में अब तक कम से कम 130 से 132 लोगों की मौत की खबरें आईं- जिनमें कुछ रिपोर्टों के अनुसार 4 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
Brazil: Death toll from police raids in Rio de Janeiro rises to 119
— ANI Digital (@ani_digital) October 29, 2025
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ऑपरेशन के बाद सड़कों पर मृतकों की कतारें नजर आईं और स्थानीय लोगों ने शवों को सड़कों पर रखकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने ज्यादा बल प्रयोग किया और यह कार्रवाई ‘नरसंहार’ जैसी रही. कई नागरिकों ने राज्यपाल से इस्तीफे की मांग की है.
इस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
राज्य के सुरक्षा प्रमुख विक्टर सैंटोस ने कहा कि इस अभियान की योजना दो महीने पहले बनाई गई थी और कार्रवाई की घातकता अपेक्षित नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम अगले सप्ताह रियो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र COP30 जलवायु सम्मेलन से जुड़ा नहीं है.
सरकारी आंकड़ों और अभियोजकों के बयानों में मृतकों की संख्या में अंतर है- पुलिस ने 119 मौतें दर्ज की हैं, जबकि अभियोजकों का कहना है कि 132 लोग मारे गए. घटनास्थल पर मिली कुछ खबरों में शवों के हालात और घावों को लेकर भी प्रश्न उठे हैं.
इस पूरे मामले की जांच के लिए ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेशन की पूरी रिपोर्ट मांगी है. जस्टिस एलेक्जेंडर डी मोरेस ने राज्यपाल और पुलिस प्रमुखों को जानकारी देने का आदेश दिया है और जल्द सुनवाई तय की है.
पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस का कहना है कि रेड कमांड के सदस्य हथियारबंद थे, सड़कों पर बैरिकेड्स जलाए गए और ड्रोन से हमले भी हुए, जिससे सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. पुलिस ने बताया कि ऑपरेशन का लक्ष्य रेड कमांड के ठिकानों और नेटवर्क को कमजोर करना था- खास कर ‘कॉम्प्लेक्स दो अलेमाओ’ और ‘कॉम्प्लेक्स दा पेन्हा’ के इलाके.
हकीकत यह है कि इस कार्रवाई के बाद रियो में गहरी नाराजगी और चिंता फैल गई है. मानवाधिकार संगठन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और स्थानीय लोग सभी मांग कर रहे हैं कि जानलेवा अभियान की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच हो.
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