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Donald Trump Photograph: (Social Media)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की छह साल बाद दक्षिण कोरिया के बुसान में मुलाकात हुई. लेकिन इस ऐतिहासिक मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप ने ऐसा फैसला लिया जिसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी. उन्होंने अपने रक्षा मंत्रालय पेंटागन को आदेश दिया कि अमेरिका तुरंत परमाणु हथियारों (न्यूक्लियर वेपन्स) की टेस्टिंग शुरू करे. ट्रंप ने यह घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर की, जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब अमेरिका की न्यूक्लियर टेस्टिंग चीन और रूस के बराबर स्तर पर होगी.
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ट्रंप का आदेश और उसका संदेश
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘दूसरे देशों की परमाणु परीक्षण गतिविधियों को देखते हुए मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को निर्देश दिया है कि हमारे परमाणु हथियारों की टेस्टिंग बराबरी के आधार पर जल्द शुरू की जाए.’ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, और यह सब उनके पहले कार्यकाल के दौरान संभव हुआ था. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ऐसे विनाशकारी हथियारों की शक्ति उन्हें असहज करती है, लेकिन उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा.
ट्रंप ने दावा किया कि रूस दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर हैं, लेकिन आने वाले पांच वर्षों में चीन इस अंतर को कम कर सकता है. यही कारण है कि उन्होंने अमेरिका को फिर से टेस्टिंग की राह पर ला दिया है.
रूस और चीन का बढ़ता खतरा
ट्रंप के आदेश से साफ है कि उन्हें रूस और चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति से डर सता रहा है. रूस ने हाल के महीनों में हाइपरसोनिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है, जबकि चीन अपने न्यूक्लियर वारहेड्स की संख्या तेजी से बढ़ा रहा है. ट्रंप को चिंता है कि आने वाले वर्षों में ये दोनों देश मिलकर अमेरिका के परमाणु वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं.
वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी
यह फैसला 1992 के बाद पहली बार अमेरिका में परमाणु परीक्षणों की वापसी का संकेत देता है, जो कि व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) का उल्लंघन माना जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस कदम को वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयासों के खिलाफ मान रहा है.
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का नया अध्याय
ट्रंप का यह निर्णय उनकी पुरानी नीति ‘अमेरिका फर्स्ट’ का ही हिस्सा है. अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने न्यूक्लियर आर्सेनल को मजबूत करने की कोशिश की थी, मगर कांग्रेस ने रोक लगा दी थी. अब सत्ता में वापसी के बाद ट्रंप एक बार फिर दिखा रहे हैं कि वह किसी भी कीमत पर अमेरिका की परमाणु बढ़त बनाए रखना चाहते हैं, चाहे इसके लिए दुनिया को नए परमाणु संकट की ओर क्यों न धकेलना पड़े.
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