विमान के पहिए में छिपकर काबुल से दिल्ली आ गया अफगानिस्तानी किशोर, जानें कैसे बची जान

अफगानिस्तान का एक किशोर विमान के पहिए में छिपकर दिल्ली आ गया. बताया जा रहा है कि ये किशोर अफगानिस्तान से ईरान जाने की फिराक में था लेकिन गलती से भारत आने वाली फ्लाइट में चढ़ गया.

अफगानिस्तान का एक किशोर विमान के पहिए में छिपकर दिल्ली आ गया. बताया जा रहा है कि ये किशोर अफगानिस्तान से ईरान जाने की फिराक में था लेकिन गलती से भारत आने वाली फ्लाइट में चढ़ गया.

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Suhel Khan
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KAM Flight

विमान के पहिए में छिपकर काबुल से दिल्ली आ गया अफगानिस्तानी किशोर Photograph: (Social Media)

Kabul to Delhi Flight: दिल्ली एयरपोर्ट पर एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल, अफगानिस्तान का एक किशोर विमान के पहिए में छिपकर काबुल से दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर पहुंच गया. जब विमान एयरपोर्ट पर उतर गया उसके बाद किशोर एयरपोर्ट के प्रतिबंधित क्षेत्र में टहलता हुआ पाया गया. इसके बाद तुरंत एयरपोर्ट के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई. करीब डेढ़ घंटे की इस यात्रा के दौरान किशोर को कुछ नहीं हुआ और उसकी जान बच गई.

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जानें क्या है पूरा मामला?

दरअसल, अफ़ग़ानिस्तान के एक 13 वर्षीय किशोर ने काबुल से दिल्ली जाने वाले एक विमान में छिपकर अपनी जान जोखिम में डालने का फैसला लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह किशोर ईरान में घुसना चाहता था, लेकिन गलती से वह KAM एयर की गलत उड़ान में चढ़ गया. किशोर एयरबस A340 के पिछले पहिये के पीछे वाले हिस्से में छिप गया और 94 मिनट की पूरी उड़ान के दौरान बच गया. इस विमान ने काबुल के हामिद करज़ई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सुबह 8:46 बजे उड़ान भरी थी. ये विमान सुबह 10:20 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरा. विमान के उतरने के बाद, किशोर विमान के पास एक प्रतिबंधित क्षेत्र में टहलता हुआ पाया गया.

जानें कैसे बची होगी किशोर की जान?

बता दें कि विमान के व्हील-वेल में छिपना बेहद खतरनाक होता है. क्योंकि तीस हजार फीट की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और जमा देने वाला तापमान होता है इसके साथ ही विमान के पहियों से कुचल जाने का भी खतरा होता है. जहां ज़िंदा रहना लगभग नामुमकिन होता है,  इन सब परिस्थितियों के बावजूद किशोर जिंदा बच गया. विमानन विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन का कहना है कि किशोर को संभवतः व्हील-वेल में एक बंद, दबाव वाली जगह मिल गई होगी. उन्होंने कहा कि, "उड़ान भरने के बाद व्हील वेल का दरवाज़ा बंद हो जाता है, और यात्री केबिन की तरह अंदर का तापमान शायद बेहतर रहा होगा. शायद इसी वजह से उसकी जान बच गई. " 

बता दें कि ज़्यादा ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है और तापमान -60 डिग्री तक पहुंच जाता है. जिससे बेहोशी और यहां तक कि मौत भी हो सकती है. ऐसे में अफगानी किशोर के जान बचने को किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा. व्हील वेल में छिपना बेहद खतरनाक काम है, और ऐसे छिपकर जाने वालों के बचने की दर बहुत कम है.

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