logo-image

इस पेड़ के पत्ते को खाते ही लोगों की आवाज हो जाती है सुरीली

क्या आप जानते हैं कि तानसेन की गायकी का राज क्या था. उनकी गायकी में वो जादू कहां से आती है. आइये हम बताते हैं उनकी गायकी का राज.

Updated on: 27 Dec 2021, 12:00 AM

नई दिल्ली:

तानसेना को तो आप जानते ही होंगे. अगर आप तानसेन को नहीं जानते हो हम आपको बताते हैं, उनके बारे में और उनकी कलाकारी के बारे में. तानसेन अकबर के दरबार में गायक थे. जब तानसेन गाते थे, तो मौसम भी उनकी गायकी में डूब जाता था. जब वो राग दीपक गाते तो दीप जल जाते थे. यही कारण है कि तानसेन को संगीत सम्राट भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी गायकी का राज क्या था. उनकी गायकी में वो जादू कहां से आई थी. आइये हम बताते हैं उनकी गायकी का राज. 

संगीत सम्राट तानसेन के गायकी का राज एक इमली का पेड़ है. कहा जाता है कि बचपन में तानसेन बोल नहीं पाते थे. फिर तानसेन को इमली के पत्ते खिलाए गए. इमली के पत्ते खाने से वो बोलने लगे. इतना ही नहीं उनकी न सिर्फ आवाज आई, बल्कि उसमे इतना दम आ गया कि बादशाह अकबर ने उन्हें अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया. 

यह भी पढ़ें: पिज्जा खाती इस क्यूट बच्ची का रिएक्शन देख आप भी होंगे दीवाने, वीडियो वायरल

आज ये इमली का पेड़ दुनियाभर के गीत-संगीतकारों के लिए धरोहर से कम नहीं है. मान्यता है कि इस इमली के पेड़ के पत्ते खाने से आवाज करामाती हो जाती है, यही कारण है कि दूर-दूर से लोग आकर इसके पत्ते चबाते हैं. कई लोग इन पत्तों को अपने साथ ले जाते हैं. तानसेन समाधि स्थल के पास लगा ये इमली का पेड़ आज भी वैसा का वैसा खड़ा है.

यह भी पढ़ें: Tesla में आई खराबी को सहन न कर सका मालिक, बम से उड़ाया

कहा जाता है कि ये इमली का पेड़ सन 1400 के आसपास का बताया जाता है. कहा जाता है कि इस करामाती इमली के पत्ते खाने से आवाज सुरीली होती है. यही कारण है कि दूर-दूर से संगीत साधक और संगीत प्रेमी ग्वालियर आकर इस इमली के पत्ते खाते हैं. देश के कई गायकों ने यहां आकर इसके पत्ते चबाएं हैं, तो कई कलाकारों ने यहां से इमली के पत्ते मंगवाकर खाएं है. ये पेड़ करीब 600 साल से आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है.