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Video: ITBP के जवानों ने 8 घंटे तक पैदल चलकर गांव पहुंचाया शव, भूस्खलन में हुई थी शख्स की मौत

आईटीबीपी के जवानों को पहाड़ों के रास्ते 25 किलोमीटर तक की दूरी तय कर शव पहुंचाने में 8 घंटे का समय लगा.

Updated on: 02 Sep 2020, 07:03 PM

नई दिल्ली:

उत्तराखंड में हुई लगातार तेज बारिश की वजह से जान-माल का बहुत नुकसान हुआ. बीते 28 अगस्त को पिथौरागढ़ में भूस्खलन की वजह से एक शख्श की मौत हो गई थी. 30 साल के भूपेंद्र सिंह राणा भूस्खलन के दौरान पहाड़ी से गिरी एक चट्टान की चपेट में आ गए थे. खराब मौसम की वजह से राणा का शव उनके गांव तक पहुंचाना काफी मुश्किल हो गया था. मौसम को देखते हुए हेलीकॉप्टर से ये काम बिल्कुल भी संभव नहीं था.

इंसानियत और मौसम को देखते हुए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने एक भूपेंद्र सिंह राणा के शव को उसके गांव तक पहुंचाने के लिए किसी साधन का इंतजार नहीं किया. जवानों ने राणा के शव को कंधे पर लादकर पैदल ही 25 किलोमीटर लंबी विषम पहाड़ियों की दूरी तय की ताकि उसके परिजन उसका अंतिम संस्कार कर सकें. जवानों को पहाड़ों के रास्ते 25 किलोमीटर तक की दूरी तय कर शव पहुंचाने में 8 घंटे का समय लगा.

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राणा के शव को खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर के जरिए उसके गांव तक नहीं पहुंचाया जा सकता था. आईटीबीपी के एक अधिकारी बलजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘हमारे जवानों ने विषम पहाड़ी रास्तों के जरिए शव को ले जाने की चुनौती ली और इसके लिए उन्होंने 36 किलोमीटर का रास्ता तय करते हुए उसे उसके गांव मवानी-दवानी तक ले गये.’’ क्षेत्र के ग्रामीणों के अनुसार, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आईटीबीपी उनकी मदद के लिए आगे आयी है.

कुछ दिन पहले भी 22 अगस्त को आईटीबीपी के जवानो ने मल्ला जोहार गांव की एक घायल महिला को 40 किलोमीटर दूर मुनस्यारी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 15 घंटे तक दुरूह पहाड़ी का रास्ता तय किया था. व्यास घाटी के ग्रामीणों ने बताया कि राशन आपूर्ति बाधित होने पर आईटीबीपी न केवल स्थानीय लोगों को राशन उपलब्ध कराते है बल्कि क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों को भी खाना और आश्रय देते हैं.

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धारचूला के उपजिलाधिकारी ए के शुक्ला ने पिछले साल की एक घटना को याद करते हुए बताया कि कैलाश—मानसरोवर यात्रा के एक श्रद्धालु की नाभीढांग में मृत्यु हो गयी थी और तब उसके शव को धारचूला तक पहुंचाने में आईटीबीपी ही आगे आई थी.