लग्जरी कारों में नहीं बल्कि बैलगाड़ियों से निकली बारात, देख लोगों ने कहा- "याद आ गए वो पुराने दिन"

भीलवाड़ा जिले के रायपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव कोशीथल में एक अनोखी और दिलचस्प बारात ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया. इस बारात में दूल्हे ने अपनी शादी के लिए आधुनिकता को छोड़कर पारंपरिक रीति-रिवाजों को प्राथमिकता दी

भीलवाड़ा जिले के रायपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव कोशीथल में एक अनोखी और दिलचस्प बारात ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया. इस बारात में दूल्हे ने अपनी शादी के लिए आधुनिकता को छोड़कर पारंपरिक रीति-रिवाजों को प्राथमिकता दी

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Ravi Prashant
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Bhilwara bullock carts in Rajasthan

वायरल न्यूज Photograph: (X)

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रायपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव कोशीथल में एक अनोखी और दिलचस्प बारात ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया. इस बारात में दूल्हे ने अपनी शादी के लिए आधुनिकता को छोड़कर पारंपरिक रीति-रिवाजों को प्राथमिकता दी. सजी-धजी बैलगाड़ी में सवार होकर दूल्हा मोनू अपनी दुल्हन के घर सूरजपुरा गांव बारात लेकर पहुंचा.

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दुल्हे ने जाहिर की इच्छा

आज के समय में जहां बारातें महंगी गाड़ियों और भव्य सजावट से सजी होती हैं, वहीं इस जाट परिवार ने अपनी संस्कृति को संजोते हुए अनोखी मिसाल पेश की. दूल्हे के पिता मांगी लाल जाट ने बताया कि यह उनके बेटे मोनू की खास इच्छा थी कि उसकी बारात बैलगाड़ी से निकले. बेटे की इस परंपरा निभाने की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने खास तैयारियां कीं. 

बैलों को भी सजाया गया

बारात में इस्तेमाल की गई बैलगाड़ी को भव्य तरीके से सजाया गया. बैलगाड़ी पर सुंदर फूलों और रंगीन कपड़ों की सजावट की गई. बैलों को भी खूबसूरती से सजाया गया, जिससे पूरा माहौल पारंपरिकता और उत्साह से भर गया. इस अनूठी बारात की चर्चा सुनकर आस-पास के गांवों के लोग भी इसे देखने पहुंचे.

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ग्रामीणों के बीच दिखी अलग उत्साह

बारात के दौरान गांव में खास उत्साह और खुशी का माहौल था. सजी-धजी बैलगाड़ी और पारंपरिक वेशभूषा में दूल्हा मोनू सबका ध्यान खींच रहा था. जिस प्रकार से लग्जरी गाड़ियों को सजाया जाता है, उसी भव्यता से बैलगाड़ी को सजाने का काम किया गया. गांव वालों ने इस बारात को ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का प्रतीक बताया. 

एक बुजुर्ग ने कहा, “आज के समय में जहां लोग आधुनिकता में खो गए हैं, यह बारात पुरानी परंपराओं को सम्मान देने का एक खूबसूरत प्रयास है.” दूल्हे की इस अनोखी पहल ने ग्रामीण जीवन की सादगी और परंपराओं की गहराई को सामने रखा. यह बारात न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक यादगार पल बन गई.

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