Vijay Thalapathy Stampede: तमिलनाडु भगदड़ में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार कौन?

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में मची भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली और 90 से अधिक घायल हुए. अब सवाल उठता है कि इस त्रासदी की असली जिम्मेदारी किसकी है?

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Deepak Kumar
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तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में मची भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली और 90 से अधिक घायल हुए. अब सवाल उठता है कि इस त्रासदी की असली जिम्मेदारी किसकी है?

तमिलनाडु के करूर जिले में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 39 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए. कई घायलों की हालत अभी भी गंभीर है. इस हादसे ने पूरे राज्य और देश को झकझोर दिया. अब सवाल उठता है कि इस त्रासदी की असली जिम्मेदारी किसकी है?

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हादसा कैसे हुआ?

रिपोर्ट के अनुसार, विजय की पार्टी (TVK) की ओर से सोशल मीडिया पर जानकारी दी गई थी कि वह सुबह 11:30 बजे पहुंचेंगे. लेकिन असल में वह शाम करीब 7:30 बजे आए. इस बीच बड़ी संख्या में लोग जल्दी ही पहुंच गए. प्रशासन को उम्मीद थी कि 10 से 15 हजार लोग आएंगे, लेकिन भीड़ 40 हजार से ऊपर पहुंच गई.

इस बीच पर्याप्त इंतजाम नहीं थे. न पानी की व्यवस्था थी, न खाने की. जब विजय पहुंचे तो लोग उन्हें देखने के लिए आगे बढ़े और धक्का-मुक्की शुरू हो गई. कुछ लोग गिर पड़े और भीड़ उनके ऊपर चढ़ गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई.

मुख्यमंत्री और नेताओं ने जताया दुख

हादसे के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन अस्पताल पहुंचे और घायलों से मुलाकात की. मृतकों को श्रद्धांजलि दी और परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं ने भी दुख जताया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया.

पुलिस और प्रशासन पर सवाल

प्रशासन ने दावा किया कि 500 पुलिसकर्मी तैनात थे, फिर भी हादसा क्यों हुआ? सवाल उठ रहे हैं कि क्या क्राउड मैनेजमेंट की तैयारी ठीक से नहीं थी. क्या समय बदलने और इंतजामों की कमी से हालात बिगड़े? सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि राजनीतिक रैली में छोटे बच्चों को क्यों लाया गया, जबकि आठ बच्चों की मौत हो चुकी है और कई घायल हैं.

परिजनों का दर्द और जांच आयोग

अस्पतालों में मृतकों और घायलों के परिजन रो-रोकर बुरा हाल हैं. जांच आयोग का गठन कर दिया गया है और घटना की पूरी तरह जांच होगी. लेकिन जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए जवाबदेही किसकी होगी, यह बड़ा सवाल है.

यह हादसा एक सबक है कि राजनीतिक रैलियों में भीड़ प्रबंधन सबसे अहम है. लाखों की भीड़ जुटने पर पर्याप्त सुरक्षा, पानी-खाने की व्यवस्था और भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय अनिवार्य होने चाहिए. वरना इस तरह की घटनाएं लोगों की जान लेती रहेंगी.

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