उत्तरकाशी जिले का धराली गांव 5 अगस्त को आई भीषण आपदा के बाद खंडहर में बदल गया. पहाड़ों से अचानक आए सैलाब और भारी मलबे ने पूरे इलाके को तबाह कर दिया. न्यूज नेशन की टीम ने तमाम मुश्किलों को पार करते हुए ग्राउंड जीरो तक पहुंचकर वहां की असल तस्वीर देश के सामने रखी.
35 सेकंड में तबाह हुआ धराली
स्थानीय लोगों के अनुसार, 5 अगस्त की दोपहर करीब 1:30 बजे पहाड़ों के ऊपर बादल फटा. महज 35 सेकंड में पानी और मलबे का सैलाब पूरे गांव में फैल गया. जहां कभी मार्केट, होटल और पक्की इमारतें थीं, वहां अब सिर्फ कीचड़ और पत्थरों का ढेर है. लगभग 80 एकड़ क्षेत्र में 30 से 40 फीट ऊंचा मलबा फैला हुआ है. कई घर और होटल पूरी तरह दब गए. स्थानीय लोग बताते हैं कि करीब 500 लोग लापता हैं, जिनमें गांववाले, यात्री और बाहर से आए मजदूर शामिल हैं.
बाजार में मेला, अचानक आई मौत
आपदा के दिन गांव के मंदिर में मेला लगना था. बाजार में भारी भीड़ थी. बारिश के कारण कई यात्री और स्थानीय लोग होटलों में रुके हुए थे. अचानक आए सैलाब ने सभी को चंद सेकंड में मलबे में दफना दिया. कुछ ही शव अब तक मलबे से निकाले जा सके हैं. सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन इलाके तक पहुंचना बेहद कठिन है.
52 किमी का कठिन सफर
धराली पहुंचना आसान नहीं था. न्यूज़ नेशन की टीम ने 52 किमी का सफर तय किया, जिसमें 20 किमी पैदल और कई किलोमीटर पहाड़ चढ़ना-उतरना शामिल था. रास्ते में फिसलन भरी पगडंडियां, उफनती नदियां और घने जंगल थे। कई जगह लकड़ी के सहारे नदी पार करनी पड़ी। बारिश और दुर्गम पहाड़ी रास्तों के बीच 11 घंटे का यह सफर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा.
संचार व्यवस्था ठप, बचाव में दिक्कत
आपदा के बाद धराली पूरी तरह बाहरी दुनिया से कट गया था. नेटवर्क न होने के कारण बचाव कार्य में दिक्कत आई. अब कुछ जगहों पर मोबाइल नेटवर्क बहाल हुआ है, जिससे संपर्क संभव हो पाया है. फिर भी इलाके में सड़क मार्ग पूरी तरह टूट चुके हैं और उन्हें ठीक करने में हफ्तों लग सकते हैं.
सेना और बचाव दल लगातार जुटे
सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान हेलीकॉप्टर से फंसे लोगों को निकाल रहे हैं. रेस्क्यू टीम मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन मलबे की ऊंचाई और इलाके की दुर्गमता बड़ी चुनौती है. मशीनों और खोजी उपकरणों की मदद से तलाश जारी है.
स्थानीय लोग कहते हैं कि यह इलाका अब बसने लायक नहीं रहा. लगातार बादल फटने और पहाड़ी ढलानों के खतरे के कारण यहां रहना मुश्किल हो सकता है. कई परिवारों ने अपना सब कुछ खो दिया है- घर, कारोबार और प्रियजन. धराली के लोग अब भी सदमे में हैं और 5 अगस्त का दिन उनकी जिंदगी का सबसे भयावह दिन बन चुका है.
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