उत्तराखंड इस समय प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है और अब एक नया खतरा सामने आया है. आपको बता दें कि हर्षिल में बादल फटने और भूस्खलन के बाद भागीरथी नदी का रास्ता बदल गया है. भारी बारिश और मलबे के कारण नदी के बहाव में रुकावट आई और करीब 3 किलोमीटर लंबी कृत्रिम झील बन गई है. यह झील लगातार बड़ी होती जा रही है और अगर मलबे का बांध टूटा तो नीचे के इलाकों में भीषण बाढ़ आ सकती है.
आपदा ने बदला भूगोल
05 अगस्त को धराली और हर्षिल में आई तबाही ने पूरे इलाके का भूगोल बदल दिया. पहाड़ों से आए मलबे ने नदी के बहाव को रोक दिया, जिससे पानी जमा होकर झील का रूप ले लिया. इस झील के पास सेना का कैंप है, जिसके कई हिस्से डूब चुके हैं. गंगोत्री नेशनल हाईवे का कुछ हिस्सा भी पानी में समा गया है. हादसे से पहले यहां हेलीपैड था, लेकिन अब वह पूरी तरह पानी में डूब गया है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन से बनी ऐसी झीलें बेहद खतरनाक होती हैं. इन्हें “लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड” (LLOF) कहा जाता है. जब इनका अस्थाई बांध टूटता है तो अचानक पानी का तेज बहाव बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है. हर्षिल में बनी झील भी ऐसे ही खतरे का संकेत दे रही है.
सैटेलाइट तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि हादसे से पहले और बाद में इलाके में कितना बदलाव आया. पहले नदी घुमावदार बहती थी, लेकिन अब सीधी हो गई है. कई घर, दुकानें और सड़कें मलबे में दब चुकी हैं. 05 अगस्त से पहले यहां हेलीपैड और गांव साफ नजर आते थे, लेकिन अब वहां सिर्फ पानी और मलबा है.
कृत्रिम झील ने बढ़ाई चिंता
धराली में भी हालात गंभीर हैं. भागीरथी नदी का पुराना बहाव बदल गया है और पूरा गांव मलबे में दब गया है. अब तक 1200 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. एनडीआरएफ और सेना के जवान लगातार राहत-बचाव कार्य में लगे हुए हैं. बिजली और संचार व्यवस्था बहाल करने के लिए कर्मचारी रस्सियों के सहारे उपकरण और तार नदी के पार पहुंचा रहे हैं.
मौसम फिलहाल अनुकूल है, लेकिन अगर आने वाले दिनों में फिर से तेज बारिश हुई तो हर्षिल की झील का पानी और बढ़ सकता है, जिससे नीचे के गांवों में भारी तबाही का खतरा रहेगा. स्थानीय प्रशासन और राहत दल लगातार निगरानी कर रहे हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है.
यह झील न सिर्फ हर्षिल, बल्कि पूरे उत्तरकाशी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी है. अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए तो इसका असर बेहद विनाशकारी हो सकता है.
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