सूर्य ग्रहण को हिंदू धर्म में बहुत खास माना गया है. मान्यता है कि इस समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. इसलिए ग्रहण के दौरान खाना-पीना, सोना और पूजा-पाठ करने से बचना चाहिए.
इस महीने 21 सितंबर को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. खास बात यह है कि इसी दिन सर्वपितृ अमावस्या भी पड़ रही है. हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. फिर भी हिंदू परंपराओं में ग्रहण को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए लोग इस दिन कुछ सावधानियां और धार्मिक कार्य करते हैं. तो आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं और इसका महत्व.
ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं
हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ-अशुभ का संकेत माना गया है. मान्यता है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. इसी कारण लोग भोजन को ढककर रखते हैं और उसमें तुलसी के पत्ते डालते हैं ताकि वह अपवित्र न हो. ग्रहण खत्म होने के बाद वही भोजन किया जा सकता है.
ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं किया जाता, लेकिन भगवान का स्मरण और मंत्र-जप करना बहुत शुभ माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. ऐसा करने से मन को शांति मिलती है और देवताओं की कृपा बनी रहती है.
ग्रहण के बाद स्नान और दान का महत्व
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. यदि संभव हो तो नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद दान करना चाहिए.
दान में गेहूं, चावल, गुड़, दाल, उड़द, चना, लाल वस्त्र या अन्य भोजन सामग्री दी जा सकती है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
सर्वपितृ अमावस्या का विशेष संयोग
इस बार सूर्य ग्रहण सर्वपित्र अमावस्या को पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है. इस दिन पितरों को याद करना, श्राद्ध करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है.
हालांकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, फिर भी यह दिन आत्मचिंतन, मंत्र-जप, दान और भगवान के स्मरण का उत्तम अवसर है. इन धार्मिक कार्यों से नकारात्मक असर से बचाव होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
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