सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमलों, रेबीज और मौतों के मामलों को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी स्ट्रे डॉग्स को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाए और उन्हें डॉग शेल्टर्स में रखा जाए. स्थानीय निकायों को इसके लिए आठ हफ्तों का समय दिया गया है. साथ ही नए डॉग शेल्टर्स बनाने और रोजाना पकड़े जाने वाले कुत्तों का रिकॉर्ड रखने के निर्देश भी दिए गए हैं. कोर्ट ने साफ कहा है कि एक बार पकड़े गए कुत्ते को दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा और शिकायत मिलने पर 4 घंटे के अंदर कार्रवाई होगी.
कोर्ट का मानना है कि अमेरिका और यूरोप की तरह लाइसेंस, माइक्रोचिप, अनिवार्य नसबंदी और अडॉप्शन कैंपेन जैसे कदम अपनाकर ही इस समस्या को लंबे समय तक रोका जा सकता है.
डॉग बाइट के आंकड़े और समस्या की जड़
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2024 में ही 37 लाख से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले और 54 रेबीज से मौतें दर्ज हुईं. 2025 की जनवरी में यह आंकड़ा 4.29 लाख से ऊपर पहुंच गया. आपको बता दें कि देश में 2019 में आवारा कुत्तों की संख्या 1.53 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर करीब 6 करोड़ हो गई. अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही करीब 8 लाख आवारा कुत्ते हैं. डॉग शेल्टर्स की भारी कमी है- पूरे देश में 3500 शेल्टर्स हैं, जिनमें सभी जानवरों के लिए जगह है, सिर्फ कुत्तों के लिए नहीं. दिल्ली में एक भी सरकारी डॉग शेल्टर नहीं है और सिर्फ 20 नसबंदी केंद्र हैं.
विदेशी मॉडल से समाधान की उम्मीद
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका, यूरोप और नीदरलैंड जैसे देशों में पालतू जानवर रखने के लिए लाइसेंस, माइक्रोचिप, नियमित वैक्सीनेशन और अनिवार्य नसबंदी होती है. बड़े पैमाने पर डॉग शेल्टर्स को अडॉप्शन सेंटर बनाया जाता है, जिससे लोग वहां से कुत्ते अपनाते हैं. नीदरलैंड ने इसी मॉडल से आवारा कुत्तों की समस्या पूरी तरह खत्म कर दी. भारत में भी अगर पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन, माइक्रोचिप और अनिवार्य नसबंदी लागू हो, साथ ही बड़े स्तर पर अडॉप्शन कैंपेन और मजबूत कानून बने, तो यह समस्या धीरे-धीरे कम हो सकती है. वरना सिर्फ पकड़ने और शेल्टर में रखने से यह चुनौती लंबे समय तक बनी रहेगी.
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