Operation Street Dogs : दिल्ली-एनसीआर की गलियों में घूमते आवारा कुत्तों से अब छुटकारा मिलने वाला है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कड़े निर्देश देते हुए एमसीडी एनडीएमसी और एनसीआर की तमाम एजेंसियों को कहा है कि अगले छह हफ्तों में कम से कम 5000 कुत्तों को पकड़कर डॉग शेल्टर होम में रखा जाए और हर गली अब डॉग फ्री होगी. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने साफ कहा कि बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों की सुरक्षा से बड़ा कोई इमोशन नहीं. एमसीडी, एनडीएमसी और सभी एनसीआर एजेंसियों को आदेश अगले छ हफ्तों में 5000 कुत्ते पकड़ो और शेल्टर होम में रखो. दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है और इसको लेकर नए दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
नए दिशा निर्देशों के मुताबिक सभी एजेंसियां जो कि दिल्ली और एनसीआर की हैं चाहे वो एमसीडी हो, दिल्ली सरकार हो, एनडीएमसी हो या फिर एनसीआर की संबंधित एजेंसियां हो उनको शेल्टर होम्स अब तैयार करने होंगे. जो तमाम कुत्ते आवारा घूमते हैं उनके लिए बकायदा शेल्टर्स होम बनाने होंगे और शुरुआत जो है वो 5000 कुत्तों से करनी होंगी. अभी यह एक आप प्राइवेट शेल्टर होम देख रहे हैं. अभी तक क्योंकि एमसीडी के पास इस तरीके का प्रावधान नहीं था. उन्हें एमसीडी को जो है वो पूरी तरीके से कुत्तों को वो उठाते थे और फिर गली स्टेरलाइज करने के बाद उनको वापस छोड़ देते थे. लेकिन अब जो है वो इसी तरीके के शेल्टर्स होम जो है, वह तैयार करने होंगे. एमसीडी, एनडीएमसी, नोएडा, गुरुग्राम सबको टारगेट मिला. हर गली, हर मोहल्ला, हर कॉलोनी डॉग मुक्त बनानी है. कोई कुत्ता फिर सड़क पर दिखा तो जिम्मेदार पर सुप्रीम कोर्ट का डंडा गिरेगा.
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कुत्तों की सीसीटीवी से निगरानी रखा जाएगा
कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद आठ हफ्तों में स्थाई डॉग शेल्टर होम तैयार होंगे. पकड़े गए कुत्तों की सीसीटीवी से निगरानी रखा जाएगा. ऐसे में अगर सड़क पर किसी ने कोई कुत्ता छोड़ा तो सख्त सजा होगी. हेल्पलाइन पर सूचना मिलते ही 4 घंटे में एक्शन होगा. जबकि बाधा डालने वालों पर अवमानना केस दर्ज किया जाएगा. कोर्ट ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इसमें बाधा बनता है तो फिर कोर्ट को सूचित कीजिए. कोर्ट उसके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई करेगा और कोर्ट ने यह भी कहा है कि इन निर्देशों का सख्ती से अमल होना चाहिए. नवजात बच्चों को और छोटे बच्चों को रैबिज के शिकार होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. इसी वजह से कोर्ट ज्यादा सख्त नजर आया है.